साल 2003 में पूर्व विधानसभा अध्यक्ष पर भी लिख चुके हैं मशहूर गीत
राजकुमार शास्त्री ने कहा कि जनता से मिला प्यार और आशीर्वाद की कलाकार की असली पूंजी होती है। और मुझे तब बहुत प्यार मिला था जब मैंने साल 2003 में पूर्व विधानसभा अध्यक्षा श्रीनिवास तिवारी के लिए गाना लिखा और गाया था। जिसने उस वक्त मुझे विध्य में पहचान दी थी।
ऑटो ड्राइवरी छोड़ संगीत सिखने पहुंचे बीएचयू
राजकुमार शास्त्री ने बताया कि गाने की विधा उन्होंने अपने पिता से सिखी। लेकिन घर की माली हालत ठीक नहीं होने के कारण साल 1992 में ऑटो चलाने गया। लेकिन संगीत में मन अटका ही रहता था इसलिए साल 1997 में गायन से डिप्लोमा करने के लिए बीएचयू में दाखिला ले लिया। वहीं भोजपुरी गायक मनोज तिवारी हमारे सीनियर हुआ करते थे। तब उनके साथ भी उनके कार्यक्रमों उनका ढोलक और हारमोनियम ढोता था ताकि उनसे भी कुछ सिख सकूं।
बघेली लोकगायकों से सरकार ने फेरा मुंह
विध्य की धरा में यहां की बोली बघेली को बचाने के लिए आज भी कई लोक कलाकार प्रयासरत हैं लेकिन सरकार ने कलाकारों से मुंह फेर रखा है। हम जो भी गीत लिखते और गाते हैं सब अपने खर्चें पर करते हैं सरकार थोड़ा भी मदद कर दे तो यहां के लोकगायक अपनी विध्य की बोली को नई पहचान और मुकाम दे सकते हैं।