scriptकूनो-पालपुर में ग्रामीणों को चीते से भावनात्मक जोडऩे सुनाई जा रही चिंटू-चीता की कहानी | The story of Chintu-cheetah being narrated with an emotional connectio | Patrika News
भोपाल

कूनो-पालपुर में ग्रामीणों को चीते से भावनात्मक जोडऩे सुनाई जा रही चिंटू-चीता की कहानी

– चीता आने से बढ़ेगा पर्यटन, मिलेगा लोगों रोजगार, काम-धंधे की तलाश में लोगों को नहीं जाना पड़ेगा शहर
– इसकी भाषा इतनी सहज सरल है कि ग्रामीण आसानी से समझ जाएं

भोपालAug 19, 2022 / 10:19 pm

Ashok gautam

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भोपाल। कूनो-पालपुर नेशनल पार्क के आस-पास के ग्रामीणों को चीते से भावनात्मक जोड़ने के लिए उन्हें चिंटू-चीते की कहानी सुनाई जा रही है। वन विभाग का मैदानी अमला वहां हर गांव में चौपाल लगाकर यही बताता है कि चिंटू और चीता ने इस पूरे क्षेत्र को कितना हराभरा और समृद्ध बनाने में मिल कर काम किया है। इस कहानी को चिंटू और मिंटू के कार्टून के साथ ग्रामीणों को बताया बताया जा रहा है। इसकी भाषा इतनी सहज सरल है कि ग्रामीण आसानी से समझ जाएं।
वन विभाग का अमला कहानियों और कार्टून के जरिए ग्रामीणों को चीता से भावनात्मक रूप से जोडऩे और यह बताने की कोशिश कर रहा है कि चीता आप के लिए खतरा नहीं, बल्कि कमाई का जरिया है। इसके आने से क्षेत्र का विकास होगा, रोजगार-धंधे बढ़ेंगे। बाहर से पर्यटक आएंगे यहां ठहरेंगे, भ्रमण करें, इससे आप लोगों को घर बैठे काम मिलेगा आमदनी बढ़ेगी। रोजगार की तलाश में इधर-उधर नहीं भटकना पड़ेगा। चीता रहेगा तो जंगल बचेगा, जंगल है तो हमारा कल रहेगा और इसी से हमारी शान भी रहेगी। इस तरह की बातें सुनाकर लोगों में चीते के प्रति प्रेम जागृत करना चाह रहा हैं।
वर्षों से खाली है कूनो-पालपुर

कूनो-पालपुर नेशलन पार्क वर्षों से खाली है। यहां एशियाटिक लॉयन लाने की करीब 20 वर्षों से तैयारी की जा रही है। इसके चलते यहां बाघों को भी नहीं बसाया गया। लाॅयन भी यहां आने से रहे, क्योंकि सुप्रीम कोर्ट के कहने के बाद भी यहां लाॅयन नहीं लाए जा सके। गुजरात सरकार मप्र को लॉयन देने में तमाम तरह के अडंगे लगा रही है। अब चीते लाए जा रहे हैं, जिससे यहां के ग्रामीण अपने आप को असुरक्षित महसूस कर रहे हैं। इसके चलते ग्रामीणों को चीते और वन्य प्राणियों के प्रति प्रेम की भावन लाने की कोशिश कर रहे हैं।
क्या है कहानी में –

कहानी में कार्टून के जरिए चिंटू अपने गांव के एक बच्चे (मिंटू) को बता रहा है कि उसकी दादी ने चीते के बारे में कहानी सुनाया करती थी। उन्होंने बताया था कि पहले यहां चीता रहा करते थे। चीता और गांव वालों की दोस्ती थी। एक दूसरे के बारे में ये हमेशा से चिंतित रहते थे और एक दूसरे का लिहाज रखते थे। चीता दुनिया का सबसे तेज दौडऩे वाला वन्य प्राणी है। शिकार में भी काफी चंट होता है। ये इंसानों के लिए खतरनाक नहीं होता है, जब तक कि उसे किसी तरह से परेशान न किया जाए। ये जंगलों की सुरक्षा करता है, जंगल को क्षति पहुंचाने वालों को जंगलों के अंदर नहीं जाने देता है। अधिकारी ग्रामीणों को बता रहे हैं कि अफ्रीका में सात हजार से ज्यादा चीता हैं, पर उनके द्वारा इंसान को मारने के प्रमाण नहीं हैं। चीता और तेंदुए के व्यवहार के संबंध में भी लोगों को बताया जा रहा है कि चीता शिकार कुशलता से करता है, पर तेंदुए के समान दोगला (चुपके से नुकसान पहुंचाने वाला) नहीं है।

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