भोपाल के साथ इंदौर, ग्वालियर और जबलपुर में भी अलग-अलग लैब स्थापित करना था। पूरे प्रोजेक्ट्स के लिए करीब 76 करोड़ रुपए भी मंजूर किए गए। बाद में यह राशि बढ़ाकर करीब 85 करोड़ रुपए भी कर दी गई। मगर फि र भी काम शुरू नहीं हो पाया। सूत्रों के मुताबिक भोपाल में यह काम शुरू करने में करीब 15 करोड़ खर्च होंगे।
हमीदिया अस्पताल के एकमात्र टॉक्सिक एक्सपर्ट डॉ. विमल शर्मा दो साल पहले रिटायर हो चुके हैं। इसके बाद विभाग ने इस पद पर नियुक्ति ही नहीं की। तब ही से यह लैब बंद पड़ी है। मालूम हो कि यह प्रदेश की एकमात्र लैब जहां फॉरेंसिक जांच की सुविधा है।
प्रदेशभर से हर साल करीब 650 नमूने सागर भेजे जाते है। इनमें से करीब 400 की ही जांच हो पाती है। इस कारण सागर पेंडिंग बढ़ती रही और जांच रिपोर्ट मिलने में देरी से अपराधों की गुत्थियां सुलझने में समय लगता रहा। सागर लैब में अब नए केस नहीं लेते हुए पेंडिंग निपटाई जा रही है। हैदराबाद में सैंपल भेजने रिपोर्ट तो जल्दी ही आएगी साथ ही सागर लैब का बोझ भी कम हो जाएगा।
गांधी मेडिकल कॉलेज की लैब दो साल से बंद है। एेसे में सैंपल सागर भेजे जाते हैं। वहां भी पेंडेंसी ज्यादा है, अब सैंपलों को हैदराबाद भेजा जा रहा है।
– डॉ. अशोक शर्मा, डायरेक्टर, मेडिकोलीगल संस्थान