एेसी ही रिपोर्ट दिसम्बर में मिले बाघ की भी थी, लेकिन लगातार एेसे मामले सामने आने के बाद हम इस बात की भी जांच कर रहे हैं कि कहीं बाघ को फंदे में फंसाकर भूख- प्यास से तो नहीं मारा जा रहा। बाघ को फंदा लगाने की जानकारी पंजों के मिलने के बाद ही स्पष्ट हो सकेगी। वही तांत्रिक पूजा-पाठ के एंगल से भी जांच की जा रही है। कई जगह दबिश, एक संदिग्ध फरार शव मिलने के बाद वन अमला आसपास के गांवों में लगातार छापामार कार्रवाई कर रही है।
अधिकारियों ने डॉग स्कॉवड की मदद से बगासपुर गांव में एक संदिग्ध की पहचान की है, संदिग्ध आरोपी फरार है,लेकिन उसके घर से कुछ उपकरण मिले है जिससे संदेह गहरा रहा है। हालांकि अधिकारी अभी स्पष्ट तौर पर कुछ नहीं कह रहे हैं। न वाइल्ड लाइफ डिवीजन बनी, न टाइगर बनने का नुकसान रातापानी में इस समय आधा दर्जन बाघ मौजूद हैं। बाघों और वन्य जीवों की बड़ी संख्या को देखते हुए वन विभाग की ओर से रातापानी अभ्यारण को वाइल्ड लाइफ डिवीजन साथ टाइगर रिजर्व का प्रस्ताव भेजा जा चुका है।
लेकिन न तो वाइल्ड लाइफ डिवीजन बनी न ही टाइगर रिजर्व ही बना। यदि यह कदम उठा लिए जाते तो फंड, स्टाफ, व्हीकल मिलते, संसाधन बढऩे से वन्य जीवों और बाघों की सुरक्षा बढ़ती वहीं वनों में घुसपैठ भी रूकती। कई अधिकारियों पर गिरेगी ओबेदुल्लागंज वन मण्डल की बिनेका बीट में ही दिसम्बर बाघ का शव मिला था जिसके पंजे गायब थी।
तब अधिकारियों ने जहर या चोट न मिलने पर उसे प्राकृतिक मौत करार दिया था, लेकिन उसी तर्ज पर एक बार फिर शव मिलने के बाद अधिकारी इसे प्राकृतिक मौत बताने से बच रहे हैं। बाघ के शिकार का तरीका अभी तक पता नहीं चल पाया है, लेकिन अंग काटे जाने से यह तय है कि मूल्यवान अंगों की तस्करी हुई है, जोकि एक गंभीर अपराध है। पांच दिन तक घटना का पता नहीं चलने बीट प्रभारी से लेकर रेंजर तक पर कार्रवाई की तैयारी की जा रही है।