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बाघ के पंजे, पूंछ-मूंछ और दांत काट ले गए तस्कर, पांच दिन तक वन अमला रहा बेखबर

पीएम के बाद बाघ का हुआ अंतिम संस्कार

भोपालApr 10, 2019 / 01:27 am

Bharat pandey

Tiger hunting

Tiger hunting

भोपाल। रातापानी अभ्यारण की बिनेका बीट में बगासपुर तालाब के पास सोमवार को मिले बाघ के शव से कई हिस्सों को निकाला गया है। तस्कर न केवल पंजे काट ले गए बल्कि, पूंछ और मूंछ के बाल व दांत तोडक़र ले गए। इत्मीनान से अंजाम दी गई घटना से जाहिर होता है कि तस्करों को भरोसा था कि मौके पर कोई नहीं आएगा। शिकार के पांच दिन बाद ग्रामीणों की सूचना पर वन विभाग को बाघ का शव के पड़े होने की जानकारी मिली।

मंगलवार को सीसीएफ, डीएफओ की मौजूदगी में चिकित्सकों के दल ने पोस्टमार्टम किया जिसके बाद अंतिम संस्कार कर दिया गया। दिसम्बर के बाद अप्रेल में फिर बाघ का शव मिलने और मूल्यवान अंग गायब मिलने से बड़े गिरोह की सक्रियता का इशारा मिल रहा है।क पर कार्रवाई की तैयारी की जा रही है।

न जहर और न चोट के निशान, भूखा मारने की तरकीब तो नहीं
सीसीएफ डॉ. एसपी तिवारी ने बताया कि पोस्टमार्टम की प्रारंभिक रिपोर्ट में बाघ के शरीर में जहर नहीं मिला है। इसके अलावा किसी तरह के जख्म भी नहीं मिले है। ऐसी ही रिपोर्ट दिसम्बर में मिले बाघ की भी थी, लेकिन लगातार ऐसे मामले सामने आने के बाद हम इस बात की भी जांच कर रहे हैं कि कहीं बाघ को फंदे में फंसाकर भूख- प्यास से तो नहीं मारा जा रहा। बाघ को फंदा लगाने की जानकारी पंजों के मिलने के बाद ही स्पष्ट हो सकेगी। वही तंत्र-मंत्र वाले एंगल से भी जांच की जा रही है।

कई जगह दबिश, एक संदिग्ध फरार
शव मिलने के बाद वन अमला आसपास के गांवों में लगातार छापामार कार्रवाई कर रही है। अधिकारियों ने डॉग स्कॉवड की मदद से बगासपुर गांव में एक संदिग्ध की पहचान की है। स्निफर डॉग संदिग्ध के घर तक पहुंचा। तलाशी के दौरान इस घर से एक फंदा और शिकार में उपयोग लाए जाने वाले उपकरण मिले हैं। संदिग्ध आरोपी के फरार होने पर उसकी पत्नी और बेटे से पूछताछ की जा रही है।

न वाइल्ड लाइफ डिवीजन बनी, न टाइगर रिजर्व
रातापानी में इस समय 35 बाघ मौजूद हैं। बाघों और वन्य जीवों की बड़ी संख्या को देखते हुए वन विभाग की ओर से रातापानी अभयारण्य को वाइल्ड लाइफ डिवीजन साथ टाइगर रिजर्व का प्रस्ताव भेजा जा चुका है। यहां न तो वाइल्ड लाइफ डिवीजन बनी न ही टाइगर रिजर्व। यदि यह कदम उठा लिए जाते तो फंड, स्टाफ, व्हीकल मिलते, संसाधन बढऩे से वन्य जीवों और बाघों की सुरक्षा बढ़ती और वनों में घुसपैठ भी रुकती।

 कई अधिकारियों पर गिरेगी गाज
ओबेदुल्लागंज वन मण्डल की बिनेका बीट में ही दिसम्बर बाघ का शव मिला था, जिसके पंजे गायब थे। तब अधिकारियों ने जहर या चोट न मिलने पर उसे प्राकृतिक मौत करार दिया था। इसी तरह एक बार फिर शव मिलने के बाद अधिकारी इसे प्राकृतिक मौत बताने से बच रहे हैं। बाघ के शिकार का तरीका अभी तक पता नहीं चल पाया है, लेकिन अंग काटे जाने से यह तय है कि मूल्यवान अंगों की तस्करी हुई है, जोकि एक गंभीर अपराध है। पांच दिन तक घटना का पता नहीं चलने बीट प्रभारी से लेकर रेंजर तक पर कार्रवाई की तैयारी की जा रही है।

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