डॉ. विकास दवे ने कहा कि बच्चों के बीच बाल पत्रिकाएं पहुंचना आवश्यक है। डॉ. राजेश श्रीवास्तव ने कहा कि बाल साहित्य बच्चों के सर्वांगीण विकास कर उसे योग्य नागरिक बनाता है। इसके बाद हरीश खंडेलवाल ने कहा कि बाल साहित्य बच्चों को नैतिक शिक्षा देने में सहायक होता है। कार्यक्रम में केंद्र निदेशक महेश सक्सेना, संयोजक आशा श्रीवास्तव, महेंद्र निगम मौजूद थे। कार्यक्रम की शुरुआत अनुभूति त्रिवेदी और अभिव्यक्ति त्रिवेदी की गणेश वंदना की प्रस्तुति से हुई। डॉ. क्षमा पांडे ने सस्वर श्रीकृष्ण सरल की कविता मैं अमर शहीदों का चारण… प्रस्तुत की। सुनील भट्ट के निर्देशन में शौर्य निगम, हिमांशु शर्मा, जसराज और रितिक कुमार ने तबले पर प्रस्तुतियां देकर वाहवाही लूटी। वहीं, अभिज्ञा चौकसे के नृत्य पेश किया।
इनका हुआ सम्मान
कार्यक्रम में डॉ. उषा खरे को बाल सेवी सम्मान, डॉ. रंजना शर्मा, हेमराज कुर्मी, डॉ. वर्षा चौबे, राजेंद्र श्रीवास्तव, वंशीधर बंधु को बाल साहित्यकार सम्मान तथा एसओएस बालग्राम को बाल सेवी संस्था सम्मान, चकमक को बाल पत्रिका सम्मान तथा बाल चिकित्सक सम्मान से डॉ. रचना पाटिल को सम्मानित किया गया। छात्र भविष्य आचारी तथा अंतरिक्ष सेठिया को श्रेष्ठ चित्रकला सम्मान दिया गया। इस अवसर पर साधना श्रीवास्तव की पुस्तक दादी की नजर, हेमराज कुर्मी की बहुरूपिया तथा इंद्रेश्वरी वल्लभ पंत की पुरानी मुद्राएं का भी लोकार्पण किया गया।