ट्रांसपोर्ट कमिश्नर शैलेन्द्र श्रीवास्तव ने नियमों के आधार पर बसों के आगे और पीछे बड़े व स्वच्छ अक्षरों में ‘स्कूल बस’ ( school bus ) लिखा होना अनिवार्य है। बसों का रंग पीला होना चाहिए। यदि स्कूल बस किराए पर ली गई है तो इसके आगे और पीठे बड़े अक्षरों में ‘विद्यालय सेवा’ और अंग्रेजी में ऑन स्कूल ड्यूटी लिखा होना आनिवार्य है। किसी भी बस में निर्धारित सीटों से संख्या से अधइक छात्रों को नहीं बैठाया जाए इसके साथ-साथ ही स्कूल सेवा में लगी सभी वाहनों में अनिवार्य रूप से प्राथमिक उपचार ( first aid box ) की व्यवस्था होनी चाहिए।
जारी की गई एडवाइजरी में कहा गया है कि बसों की स्पीड 40 किमी से ज्यादा नहीं होनी चाहिए। इसके साथ-साथ ही बसों को लेकर अनिवार्य दिशा निर्देश भी दिए गए हैं।
स्कूल प्रबंधन को लेकर भी एडवाइजरी जारी की गई है। ट्रांसपोर्ट कमिश्नर शैलेन्द्र श्रीवास्तव ने कहा- स्कूल प्रबंधन द्वारा यह ब्यौरा रखा जाए कि कौन सा बच्चा किस वाहन से स्कूल आ और जा रहा है। बच्चों को स्कूल लाने और ले जाने के लिए लगे बाहन के सभी आवश्यक दस्तावेज का एक सेट अपने पास रखें। स्कूली वाहन में एलपीजी से संचालित वाहन का प्रयोग सुरक्षा की दृष्टि से खतरनाक है। ऐसे वाहनों का प्रयोग नहीं किया जाना चाहिए। प्रत्येक वाहन में बच्चों की संख्या निर्धारित की जाए। स्कूल परिसर में सीसीटीवी की संख्या बढ़ाई जाए।
ट्रांसपोर्ट कमिश्नर शैलेन्द्र श्रीवास्तव ने परिजनों के लिए भी एडवाइजरी जारी की है। उन्होंने कहा कि माता-पिता अपने बच्चों के स्कूल आते-जाते समय सुरक्षा के प्रति स्वंय बराबर के उत्तरदायी है। परिजन भी तय करें की स्कूल बस निर्धारित पैमानों का प्रयोग बसों में किया गया है या नहीं। चालक या स्कूल के अन्य कर्मचारियों द्वारा नियमों का पालन किया जा रहा है या नहीं। बच्चों के अभिवावक अभिवावक-शिक्षक बैठक ( Parents Teacher Meeting ) में अनिवार्य रूप से जाएं। जिन बसों के पास वैध परमिट नहीं हो उन वाहनों में बच्चों को स्कूल नहीं भेंजे।
पुलिस/ परिवहन का दायित्व
पुलिस और परिवहन द्वारा स्कूल संचालकों, बस संचालकों द्वारा कोर्ट, राज्य औऱ केन्द्र सरकार द्वारा जारी गाइड लाइन का पालन करवाना सुनिश्चित करें। क्या है सुप्रीम कोर्ट के निर्देश ?