एसोसिएशन का ने दावा किया था कि करीब 7 लाख से ज्यादा रजिस्ट्रर्ड वाहनों के पहिए हड़ताल के कारण थम गए थे। फल, सब्जी, दूध और इमरजेंसी उत्पादों पर हड़ताल का असर दिखाई दिया था। इसके अलावा ऑपरेटर्स की मांग थी कि कोरोना काल में ट्रकों के पहिए थमे हुए थे, जिसकी वजह से आमदनी नहीं हो पाई है और ऑपरेटर्स नुकसान में हैं। लिहाजा ट्रक ऑपरेटर्स को टैक्स में छूट दी जानी चाहिए। इसके साथ ही कोरोना काल में ट्रक ड्राइवर का बीमा कराया जाए।
आरटीओ सीमाओं के चैक पोस्ट खत्म किया जाए
डीजल पर वैट में कमी की जाए
रोड टैक्स में छह महीनों की छूट दी जाए
ड्राइवरों का कोविड बीमा कराया जाए मध्यप्रदेश में हड़ताल का असर
ट्रांसपोर्टर्स की हड़ताल के बाद बुरहानपुर से केला और कपड़ा निर्यात नहीं हुआ। परचून भी सिर्फ 30 फीसदी ही जिले में आ पाया। फल-सब्जियों के निर्यात पर करीब 20 से 25 प्रतिशत असर पड़ा। 10 हजार से ज्यादा लोगों के रोजगार पर असर पड़ा।एक दिन में 15 करोड़ रुपए से ज्यादा का कारोबार प्रभावित हुआ।