भोपाल

उपचुनाव के ठीक पहले शिवराज कैबिनेट के दो मंत्रियों ने दिया इस्तीफा

सिंधिया समर्थक दो मंत्रियों ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया, इनमें गोविंद सिंह राजपूत और तुलसी सिलावट शामिल हैं…।

भोपालOct 21, 2020 / 01:12 pm

Manish Gite

 

भोपाल। मध्यप्रदेश सरकार के दो मंत्रियों ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया। यह दोनों ही सिंधिया समर्थक हैं और शिवराज कैबिनेट में मंत्री थे। इन दोनों ने अपने इस्तीफे मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को सौंप दिए गए। मुख्यमंत्री ने इन इस्तीफों को राज्यपाल आनंदीबेन पटेल के समक्ष भेज दिए हैं।

 

शिवराज सरकार में राजस्व एवं परिवहन मंत्री गोविंद सिंह राजपूत और जल संसाधन मंत्री तुलसी सिलावट ने अपने पद से इस्तीफे दे दिए। दोनों ने यह इस्तीफे मुख्यमंत्री को सौंप दिए। दोनों ही मंत्री विधायक नहीं हैं और उनके मंत्री बने रहने के 6 माह पूरे होने के कारण उन्होंने यह इस्तीफा दिया है। नियम के मुताबिक किसी मंत्री को 6 माह में मंत्री बने रहने के लिए किसी सदन का सदस्य बना जरूरी होता है। तुलसी सिलावट सांवेर से भाजपा के प्रत्याशी बनाए गए हैं, जबकि गोविंद सिंह राजपूत सुरखी से भाजपा के प्रत्याशी हैं।

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सिंधिया के साथ भाजपा में आए थे

मार्च में ज्योतिरादित्य सिंधिया के समर्थक 22 विधायकों ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया था और भाजपा ज्वाइन कर ली थी। इस कारण कांग्रेस की कमलनाथ सरकार गिर गई थी। मुख्यंत्री शिवराज सिंह चौहान ने 23 मार्च को चौथी बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी। इसके बाद जिन पांच मंत्रियों को शामिल किया गया था, इनमें तुलसी सिलावट और गोविंद सिंह राजपूत भी थे। इनके अलावा डा. नरोत्तम मिश्रा, कमल पटेल, मीना सिंह वर्तमान में विधायक हैं। तुलसी सिलावट और गोविंदसिंह राजपूत ने विधायक नहीं होने की स्थिति में इस्तीफा दे दिया। कोरोनाकाल के कारण उपचुनाव में विलंब हुआ और इन मंत्रियों को छह माह के भीतर विधायक बना जरूरी था। इस कारण इन्हें इस्तीफा देना पड़ा। आज इनके 6 माह पूरे हो गए। यदि चुनाव पहले हो जाते तो इन्हें इस्तीफा देना नहीं पड़ता।

 

 

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इन्हें दिया जा सकता है प्रभार

दोनों मंत्रियों के विभागों का अतिरिक्त प्रभार अन्य मंत्रियों को दिया जाएगा। राजस्व विभाग का प्रभार कृषि मंत्री कमल पटेल या सहकारिता मंत्री अरविंद भदौरिया को दिया जा सकता है। जल संसाधन विभाग डा. नरोत्तम मिश्रा को दिया जा सकता है, साथ ही परिवहन का अतिरिक्त प्रभार नगरीय विकास व आवास मंत्री भूपेंद्र सिंह को दिए जाने की अटकलें हैं।


यह है नियम

-सुप्रीम कोर्ट के मुताबिक कोई व्यक्ति लोकसभा और विधानसभा का चुनाव जीते बगैर मंत्री बन जाता है तो वह छह माह तक ही पद पर बना रह सकता है।
-इसलिए किसी भी मंत्रिपरिषद के सदस्य को 6 माह में निर्वाचित सदस्य होना जरूरी है।
-वे बगैर सदस्य बने भी फिर से 6 माह के लिए मंत्री बनाए जा सकते हैं।

 

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कैबिनेट भंग करने की मांग

इधर, कांग्रेस सरकार में पूर्व मंत्री रहे सज्जन सिंह वर्मा ने राज्यपाल आनंदीबेन पटेल से शिवराज कैबिनेट को भंग करने की मांग की है। उन्होंने कहा है कि तुलसी सिलावट और गोविंद सिंह राजपूत के कार्यकाल खत्म होऔर इसके साथ ही पूरे शिवराज कैबिनेट को भंग किया जाए। सज्जन सिंह वर्मा ने कहा कि शिवराज सरकार ने पूर्व विधायकों को बगैर विधायकी के मंत्री बनाया है, जो गलत है। यदि उनके कार्यकाल खत्म होकर कैबिनेट भंग की जाती है तो होने वाले उपचुनाव में भाजपा वैसे ही हार जाएगी।

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