सवर्णों का विरोध चंबल-ग्वालियर से होता हुआ मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल तक आ पहुंचा है। वहीं बंद की तैयारियों व विरोध प्रदर्शन को लेकर कई व्हाट्सएप ग्रुप भी तैयार कर लिए गए हैं। सरकार की सतर्कता को देखते हुए जहां सवर्ण मान रहे हैं कि किसी भी विरोध प्रदर्शन से एक दिन पहले सरकार नेट बंद करने की स्थिति में आ सकती है। वहीं अपनी तैयारियों को अंजाम देने के लिए सवर्णों की ओर से पूर्व में ही तैयारियों के मैसेज चलाए जा रहे हैं।
एससी एसटी एक्ट और जातिगत आधार पर आरक्षण के खिलाफ उबल रहे मध्यप्रदेश में इन दिनों कई नेता हड़कंप में हैं, जिसके चलते चुनावी तैयारी शुरू होने के बावजूद उन क्षेत्रों में जाने से कतरा रहे हैं। जहां उन्हें सवर्णों के विरोध का शक भी है।
सूत्रों का कहना है एक ओर जहां सवर्णों ने अब तक अपनी रणनीति स्पष्ट नहीं की है, वहीं ये सोशल साइट में भी कुछ निश्चित तरीकों से अपनी तैयारी में जुटे हुए हैं।
वहीं अपने विरोध को देखते हुए मध्यप्रदेश के भिंड, मुरैना ग्वालियर सहित प्रदेश के कई जिलों में इन दिनों नेता जाने से बचते हुए आसानी से देखे जा सकते हैं। जबकि पूर्व में इन क्षेत्रों में पहुंचे नेताओं को भारी विरोध का सामना करना पड़ा था, जहां से वे जैसे तैसे भाग सके थे।
वहीं अब सवर्णों का ये आंदोलन मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल तक भी आ पहुंचा है। दरअसल ग्रामीण इलाकों से शुरू हुआ विरोध प्रदर्शन पिछले 3 दिनों से शहरी इलाकों में दिखाई दे रहा था। अब मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल तक आ पहुंचा है। इसी के तहत बैरसिया में बैनर लगाया गया है कि यह गांव सामान्य वर्ग का है, कृपया वोट ना मांगें।
चुनाव से पहले घबराहट…
दरअसल एसटी-एससी एक्ट के पारित होने के बाद मध्यप्रदेश में सवर्ण समाज के कई संगठन इसके विरोध में आ गए हैं। सूत्रों के अनुसार एक ओर जहां कुछ संगठन मुखर हो चुके हैं, वहीं प्रदेश की राजधानी भोपाल सहित कई जगहों पर संगठन सरकार को मजा चखाने की फिराक में हैं। ये संगठन सामने न आकर केवल अंदरुनी तौर पर तैयारी कर रहे हैं।
वहीं इस बीच नोटा को वोट को लेकर सोशल मीडिया पर काफी बहस चल रही है। इससे डर कर कई नेता नोटा को अनुपयोगी बताने की कोशिश कर रहे हैं जबकि सवर्ण समाज और सामान्य वर्ग के लोग नोटा पर ही अडिग दिख रहे हैं।
वहीं दूसरी ओर कुछ क्षेत्रों में ये संगठन मुखर होकर सामने आ गए हैं, जिसके चलते राजनीति क्षेत्र में हड़कंप मच गया है। दरअसल ग्वालियर-चंबल संभाग में सवर्ण समाज के अनेक संगठन एक मंच पर आ रहे हैं।
यह भाजपा और कांग्रेस का तीखा विरोध कर रहे हैं। संसद में एसटी-एससी एक्ट के पारित होने के बाद मप्र में सबसे ज्यादा उबाल इसी क्षेत्र में दिखाई दे रहा है।
इसी के चलते शनिवार को गुना में केंद्रीय मंत्री थावरचंद्र गहलोत को भारी विरोध का सामना करना पड़ा। वहीं इससे पहले गुरुवार को अशोकनगर में सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया के विरोध के बाद शुक्रवार को मुरैना में जिस तरह भाजपा सांसद प्रभात झा का तीखा विरोध हुआ।
प्रदेश में चुनाव से ठीक पहले सामने आ रहे इन विरोधों को देखते हुए राजनैतिक दलों में भोपाल से लेकर दिल्ली तक टेंशन का माहौल बना दिया है। वहीं जानकारी के अनुसार ग्वालियर में तो सड़क पर उतरकर विरोध करने करणी सेना, परशुराम सेना, गुर्जर महासभा ने हाथ मिला लिया है।
जबकि भोपाल के ग्राम कढैया कलां तहसील बैरसिया में एक बैनर लगाया गया है। जिस पर लिखा है कि यह सामान्य वर्ग का गांव है, कृपया राजनीतिक पार्टियां वोट मांग कर हमें शर्मिंदा न करें ….हम अपना वोट नोटा को देंगे…। बता दें कि इस तरह के बैनर मध्यप्रदेश के कई गावों में लगे हुए हैं। कुछ घरों में दरवाजे पर इसी तरह का नोट चिपका दिया गया है।
खुफिया एजेंसियां परेशान…
सूत्रों के अनसार अलर्ट होने के बाद की गई तमाम कोशिशों के बावजूद सवर्णों की पूरी रणनीति बाहर नहीं आने से खुफिया एजेंसियां भी परेशान बनी हुईं हैं।
इसके अलावा बताया जाता है कि गुना, अशोकनगर व मुरैना के अलावा ग्वालियर-चंबल संभाग की घटनाओं ने भाजपा-कांग्रेस सहित खुफिया एजेंसियों को सकते में डाल दिया है।
वहीं अब इस क्षेत्र में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को जन आशीर्वाद यात्रा लेकर जाना है और कांग्रेस को भी अपनी चुनावी सभाएं करनी हैं। खुफिया एजेंसियों के लिए सबसे बड़ी समस्या ये सामने आ रही है कि इस आंदोलन का कोई नेता उन्हें समझ नहीं आ रहा है साथ ही विरोध प्रदर्शन करने वाले किसी को भी अपना नेता मानने तैयार नहीं हैं।
सूत्रों के अनुसार इंटेलिजेंस एजेंसियों को आंदोलन का पूरा इनपुट नहीं मिलने के चलते सरकार ने एक बार फिर मामला पुलिस पर छोड़ दिया है। वहीं खुफिया एजेंसी लगातार सूचानाएं जुटाने में लगी हुई हैं। और इसकी जानकारी पुलिस तक पहुंचा रही हैं।