एक तरफ किसान यूरिया के लिए परेशान है तो मध्यप्रदेश की कमलनाथ सरकार केन्द्र सरकार पर आरोप लगा रही है। वहीं, विपक्ष प्रदेश सरकार पर आरोप लगा रही है। मध्यप्रदेश में विपक्ष में बैठी भाजपा यूरिया को लेकर लगातार हमलावर है। प्रदेश के सीएम कमल नाथ, मध्यप्रदेश के कृषि मंत्री सचिन यादव और सभी कांग्रेसी नेता मोदी सरकार पर यूरिया नहीं भेजने का आरोप लगा रही है।
क्या कहा कमल नाथ ने
कमलनाथ ने कहा- रबी मौसम के लिए यूरिया की मांग को देखते हुए हमने केन्द्र सरकार से 18 लाख मिट्रीक टन यूरिया की मांग की थी परंतु केन्द्र सरकार द्वारा यूरिया के कोटे में कमी कर दी गयी। एक साथ मांग आने तथा केन्द्र सरकार द्वारा हमारे यूरिया के कोटे में कमी कर देने के कारण वितरण में जरूर कुछ स्थानों पर किसान भाइयों को दिक्कतों का सामना करना पड़ा है लेकिन हम लगातार यूरिया की पर्याप्त आपूर्ति को लेकर प्रयासरत हैं और केंद्र सरकार से प्रदेश का यूरिया का कोटा बढ़ाने को लेकर निरंतर हमारे प्रयास जारी है। भाजपा यदि सच्ची किसान हितैषी है तो उसे इस मुद्दे पर राजनीति करने की बजाय अपनी केंद्र सरकार पर दबाव डालकर प्रदेश की मांग अनुसार यूरिया की आपूर्ति सुनिश्चित करवाना चाहिये।
कमलनाथ के ट्वीट का जवाब देते हुए पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान ने कहा- कमलनाथ जी, आपकी सरकार प्रदेश में यूरिया की व्यवस्था करने में बुरी तरह फेल हुई है। कृपया अपनी असफलता का ठीकरा और कहीं न फोड़ें। जब मध्यप्रदेश में भाजपा की सरकार थी, तब हम एडवांस और डीटेल्ड प्लानिंग करते थे, रबी व खरीफ की फसल के लिए कितना यूरिया लगेगा, इसका आंकलन करते थे व अग्रिम भंडारण करते थे। किसानों को पहले ही सूचित कर दिया जाता था कि तीन माह पहले ही अपना खाद उठा कर घर ले जाएं। चूंकि किसान तीन माह पहले ही खाद उठा लेता था, तो उसका ब्याज भी सरकार भरती थी। इसके कारण मध्यप्रदेश में यूरिया का संकट कभी नहीं आया और किसानों को समय पर पर्याप्त यूरिया मिला। आपकी सरकार सोती रही, किसी ने कोई प्लानिंग नहीं की। खाद आया भी तो कुप्रबंधन के कारण ढंग से किसानों को आपूर्ति नहीं हो पाई, खाद की कालाबाज़ारी हुई। व्यवस्था ठीक कीजिये, केवल दूसरे के सर पर ठीकरा मत फोड़िये।
कमल नाथ का समर्थन पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह ने किया है। दिग्विजय सिंह ने कहा- मध्यप्रदेश ने 29 में से 28 भाजपा के सांसद चुन कर भेजे हैं वे सब यूरिया की कमी पर चुप क्यों हैं? केन्द्र सरकार से अधिक यूरिया की मांग क्यों नहीं करते?
यूरिया की कमी के कारण जहां लोग परेशान हैं वहीं, किसानों को व्यापारी भी दोहरी मार दे रहे हैं। किसान को व्यापारी यूरिया के साथ जबरन डीएपी खाद भी दे रहे हैं। किसान यूरिया लेने जाते हैं पर किसानों किसानों को 270 रुपए की यूरिया की बोरी के साथ 1200 रुपए की डीएपी खाद भी लेना पड़ रहा है। मुरैना जिले के व्यापारी के कारण किसानों को जबरन यूरिया के साथ डीएपी खरीदना पड़ रहा है।