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भोपाल

छह साल की उम्र में गोल्ड मेडल जीत कर बढ़ाया गांव का मान

गांव के बच्चे सीख रहे आत्मरक्षा के गुर

भोपालNov 16, 2018 / 08:42 pm

Rohit verma

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छह साल की उम्र में गोल्ड मेडल जीत कर बढ़ाया गांव का मान

भोपाल/ संत हिरदाराम नगर. गांवों में जहां कभी सुरक्षा के लिए लाठियां घुमायी जाती थीं, वहीं आज के युवा का रुझान कराटे जैसे सेल्फ डिफेन्स में बढ़ता जा रहा है। ये अपनी सुरक्षा के साथ ही स्टेट, नेशनल और इंटरनेशनल खेल प्रतियोगिताओं में शामिल होकर मेडल भी ला रहे हैं। बैरागढ़ के खजूरी गांव के बच्चे गांव के साथ ही प्रदेश व देश का नाम रोशन कर रहे हैं।

जहां 7 साल के राघव खंडेलवाल ने स्टेट कॉम्पिटिशन में गोल्ड जीता है, वहीं ऋतिक और पांचजन्य ने ब्रांस मेडल जीत कर गांव का मान बढ़ाया है। इससे पहले भी ये बच्चे गोवा इंटरनेशनल में ब्रांस और सिल्वर जीत चुके हंै। इन बच्चों की फुर्ती देखकर ऐसा लगता है जैसे ये किसी गांव के बच्चे नहीं, बल्कि किसी इंटरनेशनल एकेडमी के बच्चे हंै।

 

राघव ने 6 साल की उम्र में जीता पहला मेडल
खजूरी गांव के 7 साल के राघव ने मात्र 6 साल की उम्र में अपना पहला इंटरनेशनल मेडल जीत कर सभी को चौका दिया था। वो अपने पिता प्रशांत खंडेलवाल को अपना आदर्श मानते हंै। प्रशांत खंडेलवाल कराते में ब्लैक बेल्ट हैं और इन बच्चों को कराटे का प्रशिक्षण देते हैं। गोल्ड मेडल जीतकर यह अपने गांव का मान तो बढ़ा चुके हैं, लेकिन अब यह बच्चे देश के लिए और मेडल जीतने की तमन्ना रखते हैं।

लड़कियों के लिए भी सेल्फ डिफेन्स क्लास
यहां पर कराटे के साथ-साथ छात्राओं के लिए भी सेल्फ डिफेन्स की क्लास लगाई जा रही है, जिसमें खजूरी ही नहीं, बल्कि राजधानी भोपाल से कई छात्राएं सेल्फ डिफेन्स के गुर सीख रही हैं। दिनों-दिन महिलाओं पर बढ़ रहे अत्याचार को लेकर छात्राएं चिन्तित हैं। वह आजादी से घूम भी नहीं सकतीं। ऐसे में मनचलों को सबक सिखाने के लिए सेल्फ डिफेंस के गुर सीख रही हैं, ताकि सुरक्षित रहने के साथ ही दूसरों की मदद कर सकें।

 

मेरा मकसद गांव के बच्चों को आगे बढ़ाना है। हमने इसी मकसद से एकेडमी की शुरुआत की थी। अगर हमें लगता है की कोई पैसे देने में असमर्थ है तो हम उसे फ्री में सिखाते हैं और इतना ही नहीं अगर किसी बच्चे के पास पैसे नहीं होते हैं तो उसे स्पॉन्सर करवाने की कोशिश भी की जाती है।
– प्रशांत खंडेलवाल, ट्रेनर

मैं तैयारी कर रहा हंू। देश के लिए और मेडल जीतना चाहता हूंं जिससे देश का गौरव और मान बड़ा सकूं। मैं तीन साल का था तभी से अपने पिता से धीरे-धीरे सीखने की कोशिश करता था, जिसकी बदौलत 6 साल की उम्र में मेडल जीत लिया।
– राघव खंडेलवाल, गोल्ड मेडलिस्ट (स्टेट कॉपटिशन)

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