कुछ कंपनियां ऑनलाइन घर पहुंच रेस्टोरेंट सर्विस से मध्यप्रदेश सहित कई राज्यों में खाद्य व पेय पदार्थ पहुंचाती हैं। इसमें अधिकतर खाद्य पदार्थों को उपभोक्ता मंगाते हैं, इसलिए आबकारी विभाग की तैयारी थी कि ऐसी दो कंपनियों को शराब पहुंचाने के भी अधिकार दिए जा सकते हैं। इसके लिए आबकारी विभाग सरकार सीधे इन दोनों कंपनियों से अनुबंध करना प्रस्तावित कर चुका था।
आबकारी विभाग का तर्क था कि इससे शराब की खपत बढ़ेगी। साथ ही ठेकेदारों को जाने वाला मुनाफा और दुकान लाइसेंस जैसी दिक्कतें कम होंगी। इस सर्विस में कोई भी व्यक्ति घर, ऑफिस या अन्य जगह बैठे-बैठे केवल एक फोन कॉल्स से शराब मंगा सकता था, लेकिन मुख्यमंत्री ने इसे गलत माना। मुख्यमंत्री इस प्रस्ताव पर जमकर नाराज हुए। उन्होंने अफसरों को फटकारा कि इस तरह के बेतुके प्रस्ताव क्यों बनाए जा रहे हैं। इससे उलटे हंगामा मच जाएगा और सरकार की छवि खराब होगी।
दरअसल, मध्यप्रदेश के सामाजिक व धार्मिक ढांचे के हिसाब से भी शराब की घर-घर डिलीवरी घातक सिद्ध हो सकती थी। इससे अपराध में बढ़ावे का खतरा था। इन कारणों का हवाला देकर मुख्यमंत्री ने इस प्रस्ताव को तुरंत खारिज कर दिया।
– दोबारा बनेगा मसौदा
आबकारी नीति पार्ट-2 का मसौदा अब दोबारा तैयार किया जाएगा। वाणिज्य कर विभाग के प्रमुख सचिव मनु श्रीवास्तव ने इस पर काम शुरू कर दिया है। इसमें पूर्व के प्रस्ताव से घर पहुंच शराब सिस्टम को हटाकर मसौदा रिफार्म किया जा रहा है। इसके लिए बैठक करके नए बिंदु तय किए जा रहे हैं। जल्द ही नए प्रस्ताव को मुख्यमंत्री के सामने रखा जाएगा। सीएम की मंजूरी के बाद उसे कैबिनेट में लाएंगे।
– पिछली सरकार बंदकर चुकी है दुकानें
शराब के मामले में पिछली भाजपा सरकार कई दुकानों को बंद कर चुकी है। नर्मदा किनारे शराब की दुकानें बंद की गई थीं। इसके अलावा अहातों पर भी बैन लगाया गया था। हालांकि बाद में अहातों पर सरकार ने ढ़ी दी। अब यदि कांग्रेस सरकार शराब की घर पहुंच डिलीवरी सेवा शुरू करती तो यह राजनीतिक रूप से भी सरकार के लिए नुकसानदायक होता। इस कारण इस प्रस्ताव को ताबड़तोड़ तरीके से खारिज किया गया।
शराब की घर तक डिलीवरी से लेकर अन्य तरह के सुझाव आए हैं। हालांकि शराब को घर-घर पहुंचाने के सुझाव को अभी अपना नहीं रहे हैं। वैसे, विभाग के स्तर पर आबकारी नीति पार्ट-2 के कई सुझावों पर विचार हो रहा है।
– बृजेंद्र सिंह राठौड़, मंत्री, वाणिज्य कर विभाग