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भोपाल

जब मैं मुख्यमंत्री था तो किसानों के बीच खुद जाता था : शिवराज

जब मैं मुख्यमंत्री था तो किसानों के बीच खुद जाता था : शिवराज, मैं नहीं समझता कि फोटो खिंचवाने और वहां पहुंचने से समाधान होगा : कमलनाथ – सदन में मुख्यमंत्री कमलनाथ और पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज आमने-सामने

भोपालFeb 21, 2019 / 08:42 am

Ashok gautam

shivraj singh

Shivraj wrote letter to Kamal Nath, said – officers did not survey

भोपाल। विधानसभा में पहली बार मुख्यमंत्री कमलनाथ और पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान आमने-सामने हुए। शिवराज ने किसानों और ओला-पाला के मुद्दे पर सरकार को घेरते हुए तंज कसा कि जब मैं मुख्यमंत्री था तो आपदा में किसानों के बीच जाता था और खुद उनके दुख-दर्द बांटता था।
इस सरकार में न तो मुख्यमंत्री ओला-पाला में किसानों की स्थिति और फसलों का नुकसान देखने गए और न ही मंत्रीगण पहुंचे। उन्होंने यह भी कहा मुख्यमंत्री अगर वीरगाथा में पड़े रहें तो जमीन कब खिसक जाएगी, पता ही नहीं चलेगा।
इसके जवाब में मुख्यमंत्री कमलनाथ ने पलटवार करते हुए कहा कि मैं नहीं मानता कि किसानों के बीच पहुंचने और फोटो खिंचवाने से कोई सामाधान हो सकता है। ओला-पाला के दौरान मैं इसलिए नहीं पहुंच पाया क्योंकि मैं उस दौरान व्यस्त था।
ओला -पाला की जानकारी ले रहा था और उसके समाधान में लगा था। ओला-पाला और किसानों की स्थिति पर अविलंबनीय लोक विषय की चर्चा के दौरान दोंनों के बीच यह तकरार हुई।

शिवराज- कर्जमाफी पर बात साफ होना चाहिए, बैंकों को जब तक पैसा नहीं देंगे, तब तक कर्ज माफ नहीं होगा। बैंक की एनओसी से किसानों का कर्जमाफ नहीं होगा। कमलनाथ- 5 मार्च को ये बताएंगे किसानों का कर्ज कैसे माफ किया गया। 16 दिन के अंदर 25 लाख किसानों का कर्ज माफ करेंगे। ये चुनावी घोषण नहीं थी, ये विश्वास की घोषणा थी। गैर जिम्मेदारी की बात करना हमारी परंपरा नहीं है।
शिवराज- मैं भरा-पूरा खजाना देकर गया था, ये खजाना खाली, और कर्जदार सरकार की बात कैसे आ रही है। प्रदेश सरकार ने अपनी लिमिट से ज्यादा कर्ज नहीं लिया है। कर्ज के मामले में अन्य राज्यों की तुलना में मप्र की बेहतर स्थिति थी।
कमलनाथ- मुझे तो पता नहीं था। मेरी सरकार बनने के बाद आपके ही मंत्रिमंडल के सदस्यों ने खजाना खाली होने की बात कही है।

शिवराज-समर्थन मूल्य खरीदी केन्द्रों की संख्या कम कर दी गई है। किसान परेशान हो रहे हैं।
कमलनाथ- मुझे तो इस संबंध में जानकारी नहीं थी, खरीदी केन्द्रों को कम करने के प्रस्ताव मेरे आने से पहले के हैं। मैं इसका परीक्षण करा लेता हूं। अगर जरूरत पड़ती है तो खरीदी केंद्र बढ़ाए जाएंगे।
शिवराज- आप अपने मंत्रियों और विधायकों को संसदीय परंपरा की जानकारी दें और उन्हें समझाएं। ( जब शिवराज सदन में बोल रहे थे तो सत्ता पक्ष के सदस्यों ने कई बार व्यवधान किया था। )
कमलनाथ – दर असल इन लोगों को (मंत्रियों और कांग्रेसी विधायकों की तरफ इशारा करते हुए) अभी सत्ता पक्ष का एहसास नहीं हो रहा है और सामने बैठे लोगों को विपक्ष में होने का एहसास नहीं हो रहा है। इसलिए ये स्थिति बन रही है। धीरे-धीरे सब ठीक हो जाएगा।
शिवराज-किसानों को ओला-पाला का मुआवजा नहीं मिला। पूरी तरह से उनकी धान की खरीदी नहीं हुई। जबेरा मंडी में किसानों से प्रति बोरा सवा किलो ज्यादा धान लिया गया।
कमलनाथ- हम आेला-पाला का सर्वे करा रहे हैं। धान खरीदी को भी दिखवा लेंगे और जो भी आप के सुझाव होंगे उसे स्वीकार किए जाएंगे। किसानों की आर्थिक स्थिति सुधरने से ही प्रदेश की स्थिति मजबूत होगी।
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