कार्यक्रम की शुरुआत सामाजिक कार्यकर्ता प्रशांत दुबे ने काश वह कोहरा ही होता कविता सुनाकर भोपाल गैस त्रासदी पर दुख प्रकट किया। सत्यम सत्येंद्र पांडे ने नर्मदा का मतलब अमरकंटक से खंभात की खाड़ी तक/ पानी की धारा से नहीं है / जैसे कागज पर बने नक्शे को/ तुम एक देश का नाम नहीं दे सकते कविता सुनाकर नर्मदा के प्रति अपने मातृत्व प्रेम को दर्शाया।
साथ ही शिवानी गोडबोले, प्रतीक सिंह चौहान योगिता विश्नोई संस्कृति शंकर, नर्मदा अस्पताल मे चिकित्सक डॉ. कमलेश कुमार पटेल, प्रकृति दोषी, नागेंद्र पांडे , अस्मा खान निकिता पाराशर ने अपनी रचनाएं प्रस्तुत की । कार्यक्रम के अंत में शुभम चौहान ने “तुमने कहां प्रकृति ईश्वर है, आज गंगा का मंद मंद स्वर है” एवं नदियों में डाला कबाड़, तभी तो आई बाढ” रचना पढ़ी। पुस्तक विमोचन कार्यक्रम में मुख्य अतिथि डॉ. आरएस नरवरिया व काव्य पाठ मे डॉ. सुरेंद्र शुक्ला रहे।