विदेश नीति का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि विदेश नीति को टी-20 मैच की तरह नहीं देखना चाहिए। इसके तुरंत परिणाम नहीं आते, बल्कि दूरगामी परिणाम होते हैं। सरकारें कोई भी हों सबसे पहले देशहित देखा जाता है। इसमें कोई परिवर्तन नहीं होता। देश की आंतरिक और बाह्य नीति के बीच लकीर खींचना मुश्किल है। अमरीका और ईरान के बीच मौजूदा स्थिति के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि हम नहीं चाहते कि युद्ध जैसे हालात हों।
अन्य देशों के साथ हम किसी भी तरह के नुकसान को कम करने की कोशिश कर रहे हैं। हमारे देश की स्थिति मजबूत है। 73 सालों की बात करेंं तो इस दौरान भारत की ताकत बढ़ी है। चीन से टकराव को उन्होंने अपरिहार्य बताया। एक अन्य सवाल पर उन्होंने कहा कि पड़ोसी से हमारे संबंध अच्छे होने चाहिए। पाकिस्तान की स्थिति में सुधार होगा तो इसका लाभ भारत को मिलेगा।
ब्यूटी कांटेस्ट जैसी है सदस्यता –
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की सदस्यता के सवाल पर उन्होंने कहा कि यहां एक सीट हासिल करना ब्यूटी कांटेस्ट जैसा ही है। क्योंकि यहां कोई एक देश कुछ नहीं कर सकता।