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भोपाल

क्यों अटकी है हजारों मजदूरों के लाखों रुपए

मनरेगा में समय पर नहीं हो रहा मजदूरी का भुगतान

भोपालJan 17, 2020 / 09:34 pm

anil chaudhary

MNREGA

MNREGA

भोपाल. मध्यप्रदेश में लाखों मजदूरों को मनरेगा की मजदूरी नहीं मिल रही है। प्रदेश के कई जिलों में तीन महीने से ज्यादा की मजदूरी का भुगतान नहीं हो सका है। इससे मजदूर परिवार फाकाकसी को मजबूर हैं। वहीं, जिम्मेदार अफसर बजट की कमी के कारण भुगतान नहीं होना बता रहे हैं। इससे हटकर एक मामला मनरेगा में भ्रष्टाचार का भी है। भ्रष्टाचार दूर करने सरकार अब बड़े अधिकारियों के खिलाफ भी कार्रवाई कर सकती है। सूत्रों के मुताबिक सरकार ने अब दोषी अफसरों पर भी कार्रवाई का मन बना लिया है।
सागर जिले के रजौआ के दिलीप पाराशर ने कपिल धारा योजना के तहत कुंआ खोदा। इसका भुगतान मनरेगा के तहत होना था, लेकिन महीनों बाद भी भुगतान नहीं हो सका। दिलीप ने डेढ़ लाख रुपए कर्ज लेकर काम पूरा करवाया था। अब रुपए चुकाने में बहुत मुश्किल हो रही है। इसी गांव में ऐसे कई ग्रामीण हैं जिन्हें मनरेगा का भुगतान नहीं हुआ। इतना ही नहीं, गांव में आठ लाख रुपए की लागत से चेक डैम बनाया गया, लेकिन उसका भुगतान भी नहीं किया गया। जनपद पंचायत के अफसरों की मानें तो मनरेगा के तीन करोड़ 90 लाख रुपए का भुगतान नहीं किया गया है। मटेरियल का पेमेंट नहीं होने से मनरेगा के कई काम रुक गए हैं।
खरगौन जिले में मनरेगा में भ्रष्टाचार की शिकायत सामने आ चुकी है। इसके तहत मस्टर रोल में मृतकों के नाम दर्ज बताए गए थे। उन्हें भुगतान भी हो गया। जबकि पूरी प्रक्रिया ऑनलाइन थी। मामले का खुलासा हुआ तो अफसरों ने सिर्फ इतना कहा कि टीम भेजकर जांच कराएंगे और जो दोषी होगा उसके खिलाफ कार्रवाई करेंगे।


दूसरी ओर आदिवासी बहुल डिंडोरी जिले की जनपद पंचायतों में भी गड़बड़ी की शिकायतें मिली थीं। यहां सरकारी पैसा खर्च करने में लापरवाही की शिकायत की गई थी। इस पर तीन पंचायतों में से दो पर कार्रवाई भी की गई थी। सचिव को निलंबित किया गया था।
ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज विकास मंत्री कमलेश्वर पटेल ने पिछले दिनों मीडिया से कहा था कि जिस भी ग्राम पंचायत में भ्रष्टाचार होता है, उसके सरपंच, सचिव और रोजगार सहायक को भ्रष्ट ठहराया जाता है। हम यह प्रावधान करने जा रहे हैं कि उस जनपद के सीईओ, इंजीनियर या मनरेगा के इंजीनियर हैं, उनके ऊपर भी जिम्मेदारी तय की जाएगी।

– केंद्र सरकार की बेरुखी भी जिम्मेदार
मनरेगा के भुगतान अटकने का एक बड़ा कारण केंद्र सरकार की बेरुखी भी है। राज्य में तीन महीने के पुराने भुगतान वाले सात लाख से ज्यादा मामले अटके थे, जबकि 21 दिन से अधिक का 183 करोड़ का 21636 प्रकरणों का भुगतान अटका पड़ा था। वहीं, 15-21 दिनों की देरी के 193 करोड़ रुपए के 2419 प्रकरण अटके पड़े थे। देरी से हो रहे भुगतान को लेकर मंत्री ने कहा था कि मोदी ने लोकसभा में कहा था रोजगार गारंटी योजना का हम ढोल बजाते रहेंगे। इससे यह मानसिकता समझ में आती है कि इतनी महत्वाकांक्षी योजना जो यूपीए ने शुरू की थी, इनकी मानसिकता में कमी होने से इस तरह की विसंगतियां सामने आई हैं।

– भाजपा ने लगाए देरी के आरोप
दूसरी ओर भाजपा प्रदेश सरकार पर भुगतान में देरी के आरोप लगा रही है। भाजपा ने कहा कि मनरेगा के नाम पर रोजगार और जो कंप्लीशन रिपोर्ट लगती है। पुराना जो पैसा दिया गया होता है, विस्तृत स्थिति होती है, उससे सरकार पल्ला झाड़ लेती है। अधिकारी कहता है मेरा रोज तबादला हो जाता है, मैं कुछ नहीं दे सकता। ऐसे में कांग्रेस को गुलछर्रे उड़ाने के लिए पैसे नहीं दिए जा सकते। पैसा दिया जाएगा तो उसकी रिपोर्ट ली जाएगी।

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