दूसरी ओर आदिवासी बहुल डिंडोरी जिले की जनपद पंचायतों में भी गड़बड़ी की शिकायतें मिली थीं। यहां सरकारी पैसा खर्च करने में लापरवाही की शिकायत की गई थी। इस पर तीन पंचायतों में से दो पर कार्रवाई भी की गई थी। सचिव को निलंबित किया गया था।
ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज विकास मंत्री कमलेश्वर पटेल ने पिछले दिनों मीडिया से कहा था कि जिस भी ग्राम पंचायत में भ्रष्टाचार होता है, उसके सरपंच, सचिव और रोजगार सहायक को भ्रष्ट ठहराया जाता है। हम यह प्रावधान करने जा रहे हैं कि उस जनपद के सीईओ, इंजीनियर या मनरेगा के इंजीनियर हैं, उनके ऊपर भी जिम्मेदारी तय की जाएगी।
– केंद्र सरकार की बेरुखी भी जिम्मेदार
मनरेगा के भुगतान अटकने का एक बड़ा कारण केंद्र सरकार की बेरुखी भी है। राज्य में तीन महीने के पुराने भुगतान वाले सात लाख से ज्यादा मामले अटके थे, जबकि 21 दिन से अधिक का 183 करोड़ का 21636 प्रकरणों का भुगतान अटका पड़ा था। वहीं, 15-21 दिनों की देरी के 193 करोड़ रुपए के 2419 प्रकरण अटके पड़े थे। देरी से हो रहे भुगतान को लेकर मंत्री ने कहा था कि मोदी ने लोकसभा में कहा था रोजगार गारंटी योजना का हम ढोल बजाते रहेंगे। इससे यह मानसिकता समझ में आती है कि इतनी महत्वाकांक्षी योजना जो यूपीए ने शुरू की थी, इनकी मानसिकता में कमी होने से इस तरह की विसंगतियां सामने आई हैं।
– भाजपा ने लगाए देरी के आरोप
दूसरी ओर भाजपा प्रदेश सरकार पर भुगतान में देरी के आरोप लगा रही है। भाजपा ने कहा कि मनरेगा के नाम पर रोजगार और जो कंप्लीशन रिपोर्ट लगती है। पुराना जो पैसा दिया गया होता है, विस्तृत स्थिति होती है, उससे सरकार पल्ला झाड़ लेती है। अधिकारी कहता है मेरा रोज तबादला हो जाता है, मैं कुछ नहीं दे सकता। ऐसे में कांग्रेस को गुलछर्रे उड़ाने के लिए पैसे नहीं दिए जा सकते। पैसा दिया जाएगा तो उसकी रिपोर्ट ली जाएगी।