script1998 के बाद भाजपा ने तो, 2008 के बाद कांग्रेस ने महिलाओं को नहीं बनाया प्रत्याशी | women candidate conditions in MP for assembly election | Patrika News
भोपाल

1998 के बाद भाजपा ने तो, 2008 के बाद कांग्रेस ने महिलाओं को नहीं बनाया प्रत्याशी

पार्टियों को आधी आबादी पर भरोसा नहीं, दावे-वादे किए खूब, पर नहीं दी तवज्जो…

भोपालOct 13, 2018 / 07:26 am

दीपेश तिवारी

women politics in MP

1998 के बाद भाजपा ने तो, 2008 के बाद कांग्रेस ने महिलाओं को नहीं बनाया प्रत्याशी

भोपाल@राधेश्याम दांगी की रिपोर्ट…

भले ही रियासतकाल में भोपाल में नवाब बेगमों का शासन रहा हो, लेकिन मौजूदा दौर में महिला नेतृत्व हाशिए पर है। भाजपा और कांग्रेस दोनों ही दलों ने राजधानी में महिलाओं को उचित प्रतिनिधित्व नहीं दिया।
आंकड़ों पर नजर डालें तो भाजपा ने 1998 के विधानसभा चुनाव में सुहास प्रधान को टिकट दिया था, उनके हारने के बाद पार्टी ने किसी भी महिला को टिकट नहीं दिया। उधर, कांग्रेस भी इस मामले में कोई आदर्श प्रस्तुत नहीं कर पाई। साल 2008 के चुनाव में कांग्रेस ने विभा पटेल को गोविंदपुरा से टिकट दिया था, उनके हारने के बाद फिर किसी महिला प्रत्याशी पर भरोसा नहीं जताया।
दोनों ही दल महिलाओं को आगे बढ़ाने के दावे-वादे तो करते हैं, लेकिन राजधानी में 1998 से 2013 तक के विधानसभा चुनाव में ये झूठे साबित हुए। 2008 के बाद भोपाल में विधानसभा सीटें बढ़कर 7 हो गईं, लेकिन इनमें से किसी भी सीट पर महिलाओं को मौका नहीं मिला।
निकायों में आरक्षण के चलते मौका मिल जाता है, लेकिन विधानसभा चुनाव में ऐसा नहीं होता। भाजपा में इसकी कमी महसूस होती है। इस बार पार्टी महिलाओं को उम्मीदवार बनाने पर विचार कर रही है।
– कृष्णा गौर, भाजपा

मैं महापौर के रूप में परफॉर्म कर सकती हूं तो विधानसभा कौन सी बड़ी बात है। महिलाओं को टिकट देने से संतुलन बना रहता है। पार्टी को कम से कम एक महिला को तो टिकट देना चाहिए।
– विभा पटेल, कांग्रेस
यदि विश्वास नहीं करेंगे तो महिलाएं सक्षम कैसे बनेंगी। पुरुषों से ज्यादा बेहतर काम महिलाएं करती हैं। मुझे भरोसा है कि पार्टी इस बार टिकट देगी।
– सीमा सिंह, भाजपा

इस बार पूरी उम्मीद है कि पार्टी मुझे मौका देगी। कांग्रेस ने हमेशा महिलाओं को आगे बढ़ाया। भोपाल में महापौर से लेकर सभी जगह अहम पद दिए हैं।
– दीप्ति सिंह, कांग्रेस
महिला मतदाताओं में इजाफा, नेतृत्व की दरकार
1. 2003 के चुनाव में 59 उम्मीदवारों में से 5 महिलाएं थीं। सबसे अधिक तीन महिला प्रत्याशी जैबिन निशा, सईदा बी और सुशीला तत्कालीन दक्षिण विधानसभा से चुनाव लड़ी थीं। उत्तर से सुरैया और बैरसिया से किरण विश्वकर्मा ने चुनाव लड़ा। भाजपा-कांग्रेस ने किसी महिला को टिकट नहीं दिया।

2. 2008 में कुल 97 उम्मीदवार चुनाव लड़े। इनमें से मात्र 4 महिलाएं थीं। कांग्रेस ने गोविंदपुरा से विभा पटेल को मौका दिया था। वहीं, उत्तर से इंडियन जस्टिस पार्टी की सुधा देवी, नरेला से निर्दलीय मंजू शर्मा और हुजूर से सवर्ण समाज पार्टी की अर्चना श्रीवास्तव ने चुनाव लड़ा। ये सभी चुनाव हार गईं।
3. 2013 में कांग्रेस और भाजपा ने किसी महिला को टिकट नहीं दिया। 67 प्रत्याशियों ने चुनाव लड़ा, जिनमें दो महिलाएं थीं, गोविंदपुरा से एबीजीपी की उर्मिला सिंह और बैरसिया से अनीता अहिरवार।

4. 2018 के विधानसभा चुनाव में सभी सीटों पर भाजपा और कांग्रेस से कुल 7 महिला उम्मीदवार टिकट के लिए दावेदारी पेश कर रही हैं। पार्टियां किन्हें टिकट देंगी, ये सूची आने के बाद ही पता चलेगा।
पार्टी विचार कर रही है कि राजधानी में एक महिला को टिकट दिया जाए। कांग्रेस में हर जगह महिलाओं को टिकट दिया जाता है, अहम पद दिया जाता है और आगे रखा जाता है। हमारे यहां उन्हें आगे बढऩे के पर्याप्त अवसर दिए जाते हैं।
– कैलाश मिश्रा, कांग्रेस, जिलाध्यक्ष
भाजपा ने पहले ही कहा है कि हर लोकसभा क्षेत्र में एक महिला को विधानसभा का टिकट दिया जाएगा। हमारी पार्टी में कई सक्रिय महिलाएं भोपाल में काम कर रही हंै। उन्हें पार्टी इस बार मौका दे सकती है, ताकि उचित प्रतिनिधित्व मिल सके।
– सुरेंद्रनाथ सिंह, जिलाध्यक्ष भाजपा

Home / Bhopal / 1998 के बाद भाजपा ने तो, 2008 के बाद कांग्रेस ने महिलाओं को नहीं बनाया प्रत्याशी

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो