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भोपाल

वन विभाग को सता रही चिंता, निगरानी बढ़ाई

राजधानी के आसपास सात युवा बाघ, संघर्ष का खतरा

भोपालSep 08, 2018 / 09:38 am

Krishna singh

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भोपाल. राजधानी के जंगलों में रह रहे बाघों के बीच कभी भी संघर्ष हो सकता है। ऐसे में महकमे ने निगरानी तेज कर दी है। कलियासोत-केरवा के जंगलों से कठौतिया तक सात युवा बाघ अपनी टेरेटिरी बनाने घूम रहे हैं। इनमें दो बाघ कलियासोत-केरवा में रह रही बाघिन टी-123 की संतान हैं, जो अब 18 माह के युवा हो चुके हैं। वहीं, कठौतिया में रह रही बाघिन टी-21 के भी तीन शावक युवा हो गए हैं, ये भी मां का साथ छोड़ रहे हैं।
इस तरह पांच शावक अब युवा बाघ बन गए हैं, जो टेरेटिरी बनाने के लिए बेताब हैं। दो और नए बाघों ने कठौतिया के जंगल में दस्तक दी है। 20 किलोमीटर की परिधि में सात बाघ घूम रहे हैं, जिनका कभी भी एक-दूसरे से सामना हो सकता है। वन विभाग के कैमरों में कैद हुई गतिविधियों के अनुसार दोनों युवा बाघों को मां से अलग देखा जा रहा है। ठीक ऐसी ही स्थिति कठौतिया में टी-21 के साथ है।
देखना होगा बाघों का मूवमेंट किस तरफ है
एक साथ युवा बाघों की उपस्थिति पर वन विभाग सक्रियता से निगरानी में जुटा है। राजधानी की सीमा के किनारों पर लगी इलेक्ट्रॉनिक आई से इनकी गतिविधि पर नजर रखी जा रही है। विभाग अब यह देखना चाह रहा है कि इन युवा बाघों का मूवमेंट किस तरफ होता है। ये रातापानी के जंगलों अथवा दाहोद रेंज की ओर जाते हैं तो विभाग के लिए राहत भरा होगा। यदि ये बाघ राजधानी में एक दूसरे की सीमा की ओर बढ़े तो इनके बीच संघर्ष तय है।
मात्र 20 किमी के दायरे में सात युवा बाघ घूम रहे हैं, जो चिंता का विषय है। इनमें से पांच बाघ ऐसे हैं, जिन्हें खुद की टेरेटिरी बनानी है। हम लगातार इन पर नजर रखे हुए हैं। हर गतिविधि को कैमरों से स्कैन किया जा रहा है। इस समय राजधानी की सीमा के आसपास कुल 19 बाघ हैं।
-एसपी तिवारी, कंजर्वेटर फॉरेस्ट भोपाल वनमंडल

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