धूप खिली, तापमान बढ़ा
एक पखवाड़े बाद ऐसी स्थिति बनी जब पूरे दिन में एक मिमी बरसात भी दर्ज नहीं की गई। शहर में सोमवार को दिनभर धूप खिली रही, बीच-बीच में कुछ देर के लिए बादल आए ,लेकिन बरसात नहीं हुई। धूप के चलते तापमान में बढ़ोतरी हुई और अधिकतम तापमान रविवार के मुकाबले 30.5 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया।
सर्वधर्म बी-सेक्टर से दामखेड़ा तक पहुंचा पानी
भदभदा डैम के गेट सोमवार को छह घंटे के लिए फिर खोलने पड़े। सीहोर में हुई बारिश से तालाब में आए पानी से दोपहर 12 बजे दो गेट खोले गए। शाम छह बजे बाद गेट बंद किए गए। इसके साथ ही कलियासोत डैम के गेट भी चार गेट खोले गए। कलियासोत के गेट खुलने के साथ ही नदी में तेजी से पानी बढ़ा। सर्वधर्म बी-सेक्टर, दामखेड़ा की ओर नदी में अंदर तक किए गए निर्माणों तक पानी पहुंच गया है।
कई घरों के चबूतरे और देहरियों को पानी छूकर निकल रहा था। गनीमत यह है कि कलियासोत डैम के दो से चार गेट ही खोले गए। यदि तेज बारिश में डैम के सभी गेट खोलने की स्थिति बनी तो इन क्षेत्रों में नदी किनारे के कई भवन, परिसर और झुग्गी-बस्ती डूबने लगेंगे। तेज बहाव में नींव कटने से इनके नदी में ढहने की आशंका बन रही है। गौरतलब है कि कलियासोत के गेट खोलने की स्थिति में कोलार के दामखेड़ा में निगम के फायर अमले को भेजा जाता है। किसी भी अनहोनी की आशंका में ये मदद करता है।
केरवा में मछली पकडऩे गए युवकों को बचाया
लगातार हुई बारिश से केरवा डैम भी उफन रहा है। यहां ऑटोमेटिक गेट हंै, जो पानी बढऩे के साथ ही खुल जाते हैं। डैम बंद होने की स्थित में डाउन स्ट्रीम में सोमवार को दो युवक मछलियां पकडऩे चले गए। गेट खुलने के बाद बढ़े पानी में वे फंस गए। जान बचाने के लिए बीच में ऊंचे पत्थर पर बैठ गए। नगर निगम के कंट्रोल रूम पर दोपहर में इसकी सूचना दी गई। स्थानीय रातीबड़ थाना पुलिस और निगम की रेस्क्यू टीम मौके पर पहुंची।
फायर मैन पंकज खरे को टीम का नेतृत्व दिया गया था। 24 फीट लंबी एल्यूमिनियम की सीढिय़ों और रस्सी के सहारे गोताखोर मजहर और संजय को बीच में भेजा। युवक केरवा के गेट के पास ही थे। पहले इन्हें रस्सी के सहारे लाइफ सेप्टी जैकेट भेजी गईं। इसके बाद गोताखोरों ने दोनों युवकों को बाहर निकाला।
कलियासोत नदी का ग्रीनबेल्ट लील गया कॉन्क्रीट का जंगल
कलियासोत डैम के गेट एक सप्ताह में तीन बार खुले हैं। नाले में तब्दील हो रही कलियासोत नदी भी लबालब हो गई। सोमवार को गेट खोलने के बाद जैसे ही पानी बढ़ा तो किनारे रहने वालों की सांसें ऊपर-नीचे होने लगीं।
दरअसल, एनजीटी के आदेश को दरकिनार कर कलियासोत नदी के किनारे ग्रीनबेल्ट पर सीमेंट-कॉन्क्रीट का जंगल खड़ा हो चुका है। जो कुछ पेड़-पौधे बचे हैं, वे नदी में लटक रहे हैं। नदी को मिट्टी-कोपरा से पूरकर कॉलोनाइजर्स ने बहुमंजिला भवन बना दिए हैं। ढलान पर बस्तियां बस गईं। मकानों ने उसका रास्ता तक बदल दिया है। नदी में तेज बहाव से मिट्टी खिसक रही है तो किनारे बने मकानों के लिए खतरा पैदा हो गया है। एनजीटी के आदेश के बाद भी निगम ने एक भी निर्माण नहीं हटाया।