scriptआप जानते हैं पंचायत भी वसूल सकती हैं टैक्स, क्या है कर प्रावधान | You know that Panchayats have self-taxation rights in MP | Patrika News
भोपाल

आप जानते हैं पंचायत भी वसूल सकती हैं टैक्स, क्या है कर प्रावधान

मध्य प्रदेश में पंचायतें के पास होते हैं स्व-कराधान के अधिकार, जानकारी के अभाव में नहीं वसूल पाते टैक्स

भोपालAug 08, 2022 / 07:24 pm

Hitendra Sharma

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भोपाल. गांव में सशक्तिकरण और विकास को लेकर ग्राम पंचायतें जिम्मेदार होती हैं। भारतीय संविधान में त्रिस्तरीय पंचायती राज व्यवस्था के तहत गांव के विकास के लिए ग्राम पंचाय़तों का घठन करने का प्रावधान किया गया। ग्राम पंचायतों को सरकार के साथ साथ अपने आय के साधन भी दिए गए। यानि कि पंचायतें अपनी आय के लिए टैक्स वसूल सकती हैं।

शासन ने गांव में विकास करने स्व कराधान योजना लागू की। इसके तहत पंचायतें ग्रामीणों से निर्धारित टैक्स वसूली करने के साथ उस राशि को गांव के विकास कार्य में खर्च कर सकती हैं। शासन के निर्देशों के बावजूद ग्राम पंचायतों के माध्यम से टैक्स की वसूली की प्रक्रिया को गति नहीं मिल रही है। सिर्फ बड़ी आबादी वाली पंचायतों में ही कराधान योजना के माध्यम से आय के स्रोत बने हुए हैं।

मध्य प्रदेश में स्व कराधान योजना के तहत टैक्स वसूली प्रतिशत अच्छा होने पर ग्राम पंचायत को पुरस्कृत करने का प्रावधान भी है। लेकिन जिम्मेदार अधिकारियों की लापरवाही से प्रदेश की ज्यादातर पंचायतों में स्व-कराधान योजना का पालन नहीं हो रहा है। ऐसे में गांवों में विकास कार्य ग्राम पंचायत सरकार की योजनाओं और अनुदान के द्वारा ही करा रही है।

टैक्स वसूल करने का है यह प्रावधान
स्व कराधान योजना के तहत गांव में दी जाने वाली विभिन्न सुविधाओं का टैक्स वसूलना होता है। इसमें नल जल योजना, मकान टैक्स, संपत्ति कर, प्रकाश, सफाई और व्यवसायी टैक्स वसूलना ग्राम पंचायतों की जिम्मेदारी है। लेकिन इन टैक्सों की वसूली में या तो पंचायतें कोई रूचि नहीं ले रहीं अथवा ग्रामीण टैक्स नहीं देते हैं।

बताया जाता है कि शासन के निर्देशों के बावजूद पंचायतों ने गांव में आय के साधन विकसित नहीं किए हैं। इस कारण गांवों में स्वयं की विकसित न कोई रोजगारन्मुखी संरचनाएं हैं और न ही पर्याप्त बुनियादी सुविधाएं मिल रही हैं। अधिकांश गांवों में न तो स्ट्रीट लाइट हैं और न ही पंचायत की आय स्थानीय स्त्रोतों से बढ़ाने के लिए कोई व्यवसायिक केंद्र हैं।

प्रदेश की ज्यादातर ग्राम पंचायतों के पास स्वयं की आय के संसाधन नहीं होने के कारण बिजली बिल भरने तक की रकम नहीं रहती है। इससे बिजली कंपनी स्ट्रीट लाइट और नलजल योजना के कनेक्शन काट देती है। इससे गांव में प्रकाश, पेयजल की व्यवस्था ठप हो जाती है। जबकि गांव में विभिन्न सुविधाओं पर पंचायत जितना टैक्स वसूल करेंगी, वह राशि विकास कार्य पर खर्च होगी। पुरस्कार में मिलने वाली राशि भी पंचायत के मेंटेनेंस में खर्च हो सकेगी।

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