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भुवनेश्वर

चिलिका में दोस्ती का पैगाम लिए लाखों परिन्दें कर रहे हैं आपका इंतजार

यदि आपको विभिन्न प्रजातियों की परिन्दों की कलाबाजी अठखेलियां देखनी हैं और देखने हैं तरह-तरह के सरीसृप, डॉलफिनों की सीटी बजाने वाली आवाजे और बलखाती उनकी अदाएं देखनी हैं तो चले आईए चिलिका लेक, जी हां वल्र्ड हेरीटेज का दर्जा प्राप्त एशिया की सबसे बड़ी झील चिलिका इस वक्त 184 प्रजाति के लाखों परिन्दें से आबाद है।

भुवनेश्वरJan 06, 2020 / 07:15 pm

Yogendra Yogi

चिलिका में दोस्ती का पैगाम लिए लाखों परिन्दें कर रहे हैं आपका इंतजार

चिलिका में दोस्ती का पैगाम लिए लाखों परिन्दें कर रहे हैं आपका इंतजार

पुरी(महेश शर्मा): यदि आपको विभिन्न प्रजातियों की परिन्दों की कलाबाजी अठखेलियां देखनी हैं और देखने हैं तरह-तरह के सरीसृप, डॉलफिनों की सीटी बजाने वाली आवाजे और बलखाती उनकी अदाएं देखनी हैं तो चले आईए चिलिका लेक , जी हां वल्र्ड हेरीटेज का दर्जा प्राप्त एशिया की सबसे बड़ी झील चिलिका इस वक्त 184 प्रजाति के लाखों परिन्दें से आबाद है। ये परिन्दें ऊंचे पर्वतों, महासागरों और रेगिस्तानी इलाकों को पार प्रतिकूल मौसम के बीच हजारों किलोमीटर की यात्रा करके दोस्ती का पैगाम देने चिलिका की वादियों में मौजूद हैं। समूची चिलिका लेक इन दिनों इन की परिन्दों चहचहाट और मीठे स्वरों से गूंज रही है। रंग-बिरंगे विभिन्न प्रजातियों के परिन्दों की चिलिका झील पसंदीदा जगह है।

57 हजार परिन्दों का इजाफा
देसी-विदेशी परिन्दों में चिलिका के आकर्षण का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है गत वर्ष की तुलना में इस वर्ष इनकी संख्या में 57 हजार की बढ़ोतरी दर्ज की गई है। इस साल चिलिका में पंछियों की संख्या में गणना के अनुसार यहां पर विभिन्न प्रजातियों के 11,05,040 पंछी हैं, जबकि बीते साल इनकी संख्या 10,47,968 थी। एशिया की सबसे बड़ी झील वल्र्ड हेरिटेज चिलिका झील में गत वर्ष के मुकाबले 57,000 पक्षियों की बढ़ोत्तरी हुई है। विदेशी पक्षियों की चिलिका में 184 प्रजातियां पाई गई। इसमें सबसे ज्यादा 102 प्रजातियां नालबाना बर्ड सेंचुरी में मिली हैं। चिलिका में 37 प्रकार सरीसृप हैं जिसमें मेढक, सांप, छिपकली, मगरमच्छ आदि मौजूद हैं।

इरावदी डॉलफिनों का घर है चिलिका
गौरतलब है कि चिलिका झील 32 किलोमीटर लंबी, संकरी, बाहरी नहर बंगाल की खाड़ी से जोड़ती है। यहां डॉलफिन भी खासी संख्या में हैं। यह इरावदी डॉलफिनों का भी घर है। यह झील 70 किलोमीटर लंबी और 30 किलोमीटर चौड़ी है। अधिकतम गहरायी चार मीटर है। यह समुद्र का ही भाग है जो महानदी द्वारा लायी गयी मिट्टी के जमा हो जाने से समुद्र से अलग होकर छिछली झील के रूप में दिखती है।

नालबाना सेंचुरी में सर्वाधिक पक्षी
यहां पर सबसे ज्यादा 4,06,308 पक्षी नालबाना बर्ड सेंचुरी में दर्ज किए गए हैं। यह जानकारी बालूगांव के डिवीजनल फॉरेस्ट अफसर आलोक रंजन होता ने दी। पंछी गणना रविवार को पूरी हुई है। यह गणना चिलिका वाइल्ड़ लाइफ डिवीजन पांच रेंजों में की गई। इसके लिए कुल 21 टीमें लगायी गई थी। कुल मिलाकर 100 पक्षी विशेषज्ञ इन टीमों में थे। यह गणना देसी नावों से की गयी। मोटर बोट के उपयोग से सही संख्या नहीं आ पाती। बाइनोकुलर्स (दूरबीन) और कैमरों की मदद से यह गणना सुबह छह बजे से रात 12 बजे तक की जाती रही।

चिलिका का अंतरराष्ट्रीय महत्व
चिलिका के विषय में महत्वपूर्ण तथ्य: चिलिका को अंतरराष्ट्रीय महत्व की आद्र भूमि के रूप में चुना गया है। प्रवासी पंछी 12 हजार किलोमीटर दूर से चिलिका आते हैं। एक सर्वे रिपोर्ट के मुताबिक झील में करीब 45 प्रतिशत पंछी (भूमि), 32 प्रतिशत जलपंछी और 23 प्रतिशत बगुले हैं। खासियत यह भी है कि यहां पर कैस्पियन सागर, बयकाल झील, अरब सागर, रूस, मंगोलिया, लद्दाख, मध्य एशिया आदि सुदूरवर्ती इलाकों से पक्षी आते हैं। माह दिसंबर से जून तक इसका पानी खारा रहता है। बरसात के मौसम में पानी मीठा हो जाता है। सैकड़ों गांवों में रह रहे हजारों मछुआरों की आजीविका का साध यही चिलिका झील है।

घूमने का उत्तम मौसम है
चिलिका झील घूमने का वर्तमान समय उत्तम मौसम है। यह अक्टूबर से शुरू होता है और मार्च तक चलता है। इसी मौसम में प्रवासी पंछी आते हैं। जनवरी में मकर मेला लगता है। काली जी के दर्शन करने भक्त और तीर्थयात्री चिलिका आते हैं। देवी मां काली मंदिर चिलिका के काजली द्वीप पर स्थित है। सूर्योदय और सूर्यास्त का दृश्य यादगार बना देता है। चिलिका आने का यह भी प्रमुख आकर्षण है।

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