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भुवनेश्वर

मलकानगिरिः गुरुप्रिया पुल चालू, 151 गांव बाहरी हिस्‍से से जुड़े

माओवादी प्रभावित मलकानगिरि के गुरुप्रिया पुल से जनता की आवाजाही शुरू हो गई है।

भुवनेश्वरJul 26, 2018 / 04:39 pm

Shailesh pandey

malkangiri bridge

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(महेश शर्मा की रिपोर्ट)

भुवनेश्वर। माओवादी प्रभावित मलकानगिरि के गुरुप्रिया पुल से जनता की आवाजाही शुरू हो गई है। मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने बहुप्रतीक्षित पुल का लोकार्पण किया। इस प्रकार मलकानगिरि के चित्रकोंडा वन क्षेत्र के 151 गांव बाहरी हिस्से से जुड़ गए। पटनायक ने माओवादियों से अपील की कि वे हिंसा का रास्ता छोड़कर मुख्यधारा से जुड़ें।
हथियार सहित माओवादी समर्पण करें

लोकार्पण के अवसर पर गुरुप्रिया पुल पर जुटी स्थानीय लोगों की भीड़ को संबोधित करते हुए पटनायक ने कहा कि हथियार सहित माओवादी समर्पण करें और जीवन की मुख्यधारा में शामिल होकर इज्जत की जिंदगी बसर करें। हिंसा से दूर रहने में ही उनकी, राज्य और जनता की भलाई है। हिंसा का रास्ता सदैव बर्बादी की ओर ले जाता है। पटनायक ने माओवादियों पर बयान में कहा कि राज्य में माओवादियों की गतिविधियों पर काफी काबू पा लिया गया है पर मलकानगिरि, कोरापुट, बलंगीर, नुआपाड़ा और रायगढ़ा जिलों के कुछ पॉकेट ऐसे हैं जहां पर माओवादी चुनौती बने हैं। ओडिशा में विकास की रफ्तार के चलते माओवादियों को हिंसा का रास्ता छोड़ना ही पड़ेगा। गुरुप्रिया पुल के लोकार्पण के चलते मलकानगिरि के कटआफ एरिया वाली नौ पंचायतें 151 गांव मुख्यधारा से जुड़ जाएंगे। इन गांवों की आबादी करीब 30 हजार से भी ज्यादा बताई जाती है। इस आबादी का नावों से आना-जाना होता है। माओवादियों से सुरक्षा के लिए अर्द्ध सैनिक बलों की टीमें नावों से गश्त करती रहती हैं।
1982 में रखी थी आधारशिला

कुल 910 मीटर लंबे 170 करोड़ की लागत वाला गुरुप्रिया पुल निर्माण के लिए आधारशिला सबसे पहले तत्कालीन मुख्यमंत्री जानकी बल्ल्भ पटनायक ने वर्ष 1982 में रखी थी। इसके बाद वर्ष 2000 में फिर मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने शिलान्यास किया। इसके पूरा होने में कई बाधाएं आईं। तकनीकी कारणों से कई बार डिजाइन बदला गया। बालिमेला रिजर्वायर का जलस्तर गिरने से डिजाइन बदली गयी। भारी बारिस और माओवादियों द्वारा तोड़फोड़ तथा ठेकेदार को जानमाल की धमकी के कारण भी निर्माण में विलंब होता रहा।
खास बातें

-आंध्र के माओवादियों की शरणस्थली चित्रकोंडा 151 गांव पूरे 50 साल बाद बाहरी हिस्से से जुड़े।

-28 जून 2008 को बलिमेला में नाव से आ रहे 38 जवानों को माओवादियों ने मार दिया।
-इस नाव पर माओवादी तब तक गोली चलाते रहे जब तक नाव डूब नहीं गई। सुर्खियों में रहा चित्रकोंडा।

-अधमने ढंग से पुल बनाने का ख्याल 1982 में आया। 7 करोड़ की लागत के प्रोजेक्ट का शिलान्यास।
-पुल बनाने में केंद्र से मदद को सीएम ने मांग भी की। लागत 7 करोड़ से बढ़कर 172.5 करोड़ हो गयी।

-गुरुप्रिया पुल पर 38 फ्लड लाइटें व सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं। बीएसएफ कैंप भी निकट ही है।
निर्माण के दौरान चुनौतियां

-2011 में मलकानगिरि जिला कलक्टर विनीतकृष्णा का माओवादियों ने अपहरण किया।

-2012 में सुरक्षा देने को डटे बीएसएफ कमांडेंट समेत चार जवानों बारूदी सुरंग से उड़ा दिया गया।
-सितंबर 2014 बीएसएफ ने कैंप स्थापित करके पुल निर्माण में पूरी मदद की।

-2015 बीएसएफ के तीन जवानों को माओवादियों ने मार डाला।

-2016 जलस्तर बढ़ने से गुरुप्रिया पुल की ऊंचाई बढ़ाई गयी।
-2017 खराब मौसम तेज आंधी पानी के चलते तीन गर्डर ध्वस्त हो गए। नयी डिजाइन बनीं।

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