तीन दिन रखा बंधक
बताया जाता है कि एक माह झुंपुरा बाजार के पास से दो युवक बाइक से आए और नाबालिग को उठा ले गए। बड़ी बहन को धमकी दी कि जुबान खोली तो परिवार को मार दिया जाएगा। मारे डर के वह खामोश रही। यह घटना बीते शुक्रवार को हुई। दो युवकों ने रेप किया। पीडि़ता ने मां को बताया तो रिपोर्ट दर्ज कराई गई। बकौल पुलिस पीडि़ता ने बताया कि दोनों उसे जबरन उठाकर असुरखोल और कोलकड़ा मोड़ के जंगल की ओर ले जाते थे। वहां पर एक कमरे में तीन दिन तक उसे रखा। उसे लाने के दौरान आरोपियों की मोटरसाइकिल पेड़ से जा टकराई। पीडि़ता के अनुसार उसका पैर टूट गया। दोनों झुंपुरा स्वास्थ केंद्र लाए और प्राथमिक उपचार के बाद उसे वीरान जगह पर छोड़ दिया।
बीते वर्ष 2,524 रेप की घटनाएं हुई
ओडिशा क्राइम ब्रांच से मिली जानकारी के अनुसार राज्य में 2019 के दिसंबर तक 2,524 रेप की घटनाएं हुई हैं। एक विश्लेषण के अनुसार इन रेप की घटनाओं में से 44 प्रतिशत घटनाएं तो सिर्फ आठ जिलों मयूरभंज, जाजपुर, भद्रक, बालासोर, कोरापुट, क्योंझर, कालाहांडी व गंजाम में हुई हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि बालासोर में रेप की घटनाएं थोड़ी घटी हैं। ब्रह्मपुर, राउरकेला सिटी में रेप की घटनाएं बढ़ी हैं। राज्य के 30 जिलों में से 44 प्रतिशत घटनाएं 8 जिलों में हुई हैं।
राज्यपाल को सौंपा ज्ञापन
ओडिशा में लगातार बढ़ रही बलात्कार की घटनाओं पर नियंत्रण के लिए महिला संगठनों ने आंध्र के दिशा कानून की तरह ओडिशा में नया विधेयक लाने की मांग की है। महिला अधिकार अभियान की अध्यक्ष एवं महिला आयोग की पूर्व सदस्य नम्रता चड्ढा ने राज्यपाल प्रो.गणेशीलाल को सौंपे ज्ञापन में मांग की है कि ओडिशा में बलात्कारियों को कठोर दंड देने के लिए पृथक कानून होना चाहिए है जैसा कि आंध्र प्रदेश की सरकार ने किया है।
मौत की मिले सजा
नम्रता चड्ढा का कहना है कि आंध्र प्रदेश की सरकार ने दिशा विधेयक पारित करके बलात्कारियों को निर्धारित अवधि में दंडित कराने का प्रवाधान की ठोस पहल की है। उसी तरह ओडिशा सरकार भी दिशा विधेयक की तरह ही बलात्कार के मामलों से निपटने के लिए विधेयक लाए। आंध्र की तरह ही इसमें सोशल या डिजिटल के माध्यम से उत्पीडऩ करने वाले शख्स की सजा का अच्छा खासा प्रावधान होना चाहिए ताकि किसी की हिम्मत न पड़े। पॉक्सो एक्ट में आजीवन कारावास या मौत की सजा का प्रावधान किया जाना चाहिए। जांच और आरोप पत्र दाखिल करने के लिए निर्धारित अवधि तय की जानी चाहिए और अदालत में रेप के मामलों की सुनवायी की भी अवधि निश्चित की जानी चाहिए। जजमेंट बहुत ज्यादा से ज्यादा तीन हफ्तों के भीतर आ जाना चाहिए।