राज्य सरकार का सामाजिकक सुरक्षा, अधिकारिता एवं दिव्यांग विभाग ने वित्तीय संस्थाओं के साथ सहयोग करके ट्रांसजेंडरों को स्वरोजगार के लिए कम ब्याज की दर पर ऋण दिलाने का निर्णय लिया है। सरकार का लक्ष्य राज्य के ट्रांसजेंडरों के समुदाय को वित्तीय मदद के जरिये मुख्यधारा में लाना है। इस आशय के पत्र विभागीय उपसचिव सुभाष चंद्र सारंगी द्वारा लिखकर संबंधित संस्थानों को भेजे गए है। उनका कहना है कि ट्रांसजेंडरों के संभावित योजनाओं में सस्ती ब्याज दरों पर ऋण दिलाकर उनके लिए स्वरोजगार की व्यवस्था करने का सरकार इरादा है।
कम ब्याज दरों पर मिलेगा ऋण
विभागीय अधिकारी का कहना है कि बड़े वित्तीय संस्थानों बैंकों को भी लिखा गया है। एक महीने पहले उनके साथ बैठक भी हो चुकी है। समाज के हर वर्ग के विकास के लिए सरकार तत्पर है। उनका कहना है कि अभी ट्रांसजेंडरो के लिए कल्याणकारी योजनाओं के मानक तैयार किए जा रहे हैं। ये योजनाएं बनने के बाद क्रियान्वयन का काम शुरू हो जाएगा। सूत्रो का कहना है कि सरकारी योजना जारी होने के बाद ट्रांसजेंडर अपनी स्वरोजगार की योजना लेकर बैंकों के पास जाएंगे तो उन्हें सरल शर्तों पर कम ब्याज की दरों पर ऋण मिल जाएगा।
राज्य में 43 हजार ट्रांसजेंडर
ओडिशा में 2011 की जनगणना के अनुसार राज्य में 43,161 ट्रांसजेंडरों की संख्या है। शहरी इलाकों यह संख्या 4,362 हैं। एक अधिकारी का कहना है कि सरकार ट्रांसजेंडरों को स्कॉलरशिप समेत अन्य सुविधाएं पहले से ही दे रही है। ओडिशा सरकार ने इस समुदाय के उत्थान और मुख्यधारा से जोड़ने के लिए वर्ष 2017 में ट्रांसजेंडरों के लिए पॉलिसी बना ली है।
ट्रांसजेंडर नीति बनाने वाला केरल पहला राज्य
किन्नरों के अधिकारों और स्वाभिमान को सुरक्षित करने के लिए अलग ‘ट्रांसजेंडर नीति’ बनाकर केरल ऐसा करने वाला देश का पहला राज्य है। हाल ही में केरल में ‘ लैंगिक समानता’ पर पहला अंतरराष्ट्रीय सम्मलेन आयोजित किया गया था। सुप्रीमकोर्ट ने सभी ट्रांसजेंडर लोगों को ‘थर्ड जेंडर’ के तौर पर मान्यता देने के साथ ही उन्हें आर्थिक और सामाजिक रूप से पिछड़ों को मिलने वाले सभी अधिकार देने की बात कही थी। इसी आदेश के आलोक में केरल सक्रिय है। बीते साल अप्रैल में सर्वोच्च न्यायालय ने ट्रांसजेंडर समुदाय से जुड़ा एक ऐतिहासिक फैसला दिया था।’राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण’ बनाम केंद्र मामले में न्यायालय ने सभी ट्रांसजेंडर लोगों को ‘थर्ड जेंडर’ के तौर पर मान्यता देने के साथ ही उन्हें आर्थिक और सामाजिक रूप से पिछड़ों को मिलने वाले सभी अधिकार देने की बात कही थी।
पहचान पत्र दिए जाएं
सामाजिक कार्यकर्ता महिला आयोग की पूर्व सदस्य नम्रता चड्ढा कहती हैं कि केरल की तरह ओडिशा सरकार भी ट्रांसजेंडर कम्युनिटी और सोशल वर्कर्स के सुझाव लेकर एक ठोस कार्यक्रम बनाए। प्राथमिकता यह होनी चाहिए कि ट्रांसजेंडरों को पहचान पत्र दिया जाए ताकि किसी भी योजना का लाभ ट्रांसजेंडरों को ही मिले। यह पहचान पत्र ही उनके असली ट्रांसजेंडर होने का प्रमाण होगा।