राज्य सरकार के उद्योग मंत्री अनंत दास ने बताया कि पॉस्को ने 2,900 एकड़ जमीन लौटा दी है। यह जमीन अब जिंदल की कंपनी को मेगा स्टील प्लांट लगाने को दी जाएगी। उन्होंने कहा कि जिंदल स्टील वर्क्स ने अभी तक सरकार को यह नहीं बताया है कि स्टील प्लांट कब से शुरू करने की उनकी योजना है। कंपनी को कहा गया है कि पैसा जमा करने के बाद आवंटन की कार्रवाई की जाएगी। डिटेल्ड प्रोजेक्ट रिपोर्ट भी आनी शेष है। मालूम हो कि पॉस्को द्वारा जमीन वापसी के बाद इडको ने इसे औद्योगिक विकास के उद्देश्य से लैंड बैंक मे रखा था।
पॉस्को ने पारादीप के निकट 1.2 करोड़ टन हर साल की क्षमता का इस्पात संयत्र स्थापित करने की योजना को ठप कर दिया था। प्लांट पूरा करने की डेड लाइन 2017 थी पर पॉस्को ने कदम वापस खींच लिए। प्लांट के लिए पॉस्को ने 2,700 एकड़ जमीन मांगी थी। ओडिशा औद्योगिक आधारभूत ढांचा विकास निगम ने 1,800 एकड़ जमीन दे दी थी । पॉस्को की वापसी से ओडिशा सरकार को जो धक्का लगा था उसकी भरपायी जिंदल ग्रुप कर रहा है। यह प्लांट 52 हजार करोड़ की लागत वाला था। वन मंजूरी को लेकर विवाद हुआ था।
स्टील प्लांट वाली जमीन को पान, काजू, नारियल की खेती के लिए मुफीद बताया जाता है। सोशल वर्कर ट्रेड यूनियन प्रफुल्ल सामंतरा का कहना है कि इस जमीन पर ढाई लाख से ज्यादा पेड़ काट दिए गए। कुल जमीन का 75 फीसदी वन और कृषि क्षेत्र है। सरकार फिर वही पॉस्को की तरह जिंदल को जमीन देने पर अड़ गई है। इसका विरोध किया जाएगा। प्रफुल्ल कहते हैं कि इस जमीन के दायरे में 6 गांवों के 718 परिवार आते हैं। इनमें सबसे ज्यादा प्रभावित होने वाला गांव नोलिया साही है। जहां अब जिंदल की कंपनी के लिए 240 परिवारों को विस्थापित करने की योजना है। इसी तरह ढिकिया गांव के 202, गोविंदपुर के 169, भुआंपाली के 12, पोलांग के 77 और नुआं के 18 परिवार परिवारों को जाना पड़ सकता है। प्रफुल्ल कहते हैं कि नियमागिरि की तर्ज पर जगतसिंहपुर के इस प्लांट के लिए जमीन का मामला गांवों की पल्ली सभाओं पर छोड़ देना चाहिए।