1948 से निरंतर आयोजन
इस आयोजन को धनुयात्रा भी कहा जाता है। गौरतलब है कि धनुयात्रा 1948 से हर वर्ष आयोजित की जाती है। बरगढ़ जिले को गिनिज बुक ऑफ वल्र्ड रिकार्ड में सबसे बड़े रंगमंच (ओपेन) की मान्यता मिली हुई है क्योंकि धनुयात्रा के दौरान पूरा शहर ही रंगमंच में तब्दील हो जाता है। खासियत यह कि कंस को राजा मानकर जिला प्रशासन और सरकार उसके कल्याणकारी आदेशों पर अमल करती है। इसे विश्व का सबसे बड़ा ओपेन स्टेज पर मंचन कहा जाता है। कंस युद्ध इस ओपेन स्टेज प्ले का अंतिम दृश्य होता है जिसे देखने को भीड़ उमड़ती है।
बीजू पटनायक को सुना चुके हैं सजा
कंस महाराज सड़कों पर घूम कर व्यवस्था का जायजा लेते हैं। बढिय़ा काम के लिए अफसरों को पुरस्कृत व खराब काम करने वालों को दंडित भी करते हैं। एक मर्तबा आधुनिक ओडिशा के निर्माता पूर्व मुख्यमंत्री स्व. बीजू पटनायक को भी कंस महाराज सजा सुना चुके हैं। यह यात्रा विश्वस्तर पर पहचान बना चुकी है। बरगढ़ के दूसरे आश्चर्य महाभारत काल के शासक कंस महाराज हैं। जिनका नाश खुद भगवान श्रीकृष्ण ने किया था। उसी कंस महाराज को धनु यात्रा के दौरान लोग बरगढ़ में हीरो मानते हैं।
गलती पर दंड व पुरस्कार की सजा
कंस महाराज को एक बेहतरीन शासक, प्रजा की देखभाल करनेवाला राजा और दंडविधान को सुचारू रूप से लागू करनेवाला शासक माना जाता है। उनके शासन में उनकी प्रजा खुशहाल रहती है। धनु यात्रा के दौरान केवल कंस महाराज की ही चलती है। यहा मंत्री, संतरी, डीएम, एसपी यानी सभी कंस महाराज के दरबार में हाजिरी लगाते हैं। यात्रा के दौरान कंस महाराज शहर में घूम-घूम कर विकास कार्यों का जायजा लेते हैं। गलती देखकर फटकार लगाना और अ’छे काम देखकर पुरस्कार देना उनके शासन का एक अहम कार्य है। बरगढ़ की जनता भी कंस महाराज को भरपूर सम्मान देती है। उनके हर आदेश का पूरी तरह पालन करती है। कोशिश होती है कि किसी तरह से उनके आदेश की नाफरमानी नहीं हो।