राव ओडिशा के चर्चित अधिकारी रहे हैं। वर्ष 1996 में एक रेप केस में राव ने डीएनए फिंगर प्रिंटर का इस्तेमाल कर आरोपी को सजा दिलाने में सफलता प्राप्त की थी। सीआरपीएफ में आईजी के पद पर रहते हुए कई नक्सलविरोधी आपरेशन को अंजाम दे चुके हैं। वह फायर सर्विस के भी चीफ के पद पर काम कर चुके हैं। ओडिशा और आंध्र में चक्रवाती तूफान फैलिन व हुदहुद में उनका काम सराहा गया था। राज्य सरकार ने उन्हें इसके लिए सम्मानित भी किया था। राव मूल रूप से तेलंगाना के जयशंकर भूपालपल्ली ज़िले के रहने वाले हैं।
नागेश्वर राव 1986 में आईपीएस के लिए चुने गए। राव को राष्ट्रपति पदक, विशिष्ट सेवा पदक और ओडिशा सरकार के पदक से सम्मानित किया गया है। बताते हैं कि एम. नागेश्वर राव आरएसएस के अहम नेताओं से करीबी रिश्ते हैं। नागेश्वर राव ओडिशा के ऐसे पहले पुलिस अधिकारी थे, जिन्होंने बलात्कार मामले का पता लगाने के लिए जांच में डीएनए फिंगर प्रिंटिंग तकनीक का इस्तेमाल किया था। 1996 में जगतसिंहपुर जिले में हुआ यह मामला 7 साल तक चला था और आखिरकार आरोपी को सजा दिलाने में सफल रहे थे।
राव ने ओडिशा में अपनी पहली पोस्टिंग के दौरान ही अवैध खनन के लिए बदनाम तलचर में अपराध पर लगाम लगाकर खास पहचान बनाई थी। जानकारी के मुताबिक ओडिशा पुलिस में राव को क्राइसिस मैनेजर के रूप में भी याद किया जाता है। राव ओडिशा कैडर के दूसरे पुलिस अधिकारी हैं, जिन्हें सीबीआई चीफ़ की जिम्मेदारी मिली है। इससे पहले, उमाशंकर मिश्रा ने सीबीआई डायरेक्टर के रूप में काम किया था। राव ओडिशा में अग्निशमन सेवा और होम गार्ड के अतिरिक्त महानिदेशक भी रहे। 2013 में समुद्री तूफ़ान फिलिन और 2014 में हुदहुद के दौरान उन्होंने आपदा प्रबंधन की जिम्मेदारी बखूबी निभाई थी। क्राइम केस का निपटारा करने में राव का कोई सानी नहीं था पर बताया जा रहा है कि राव के खिलाफ भी कई मुकदमें चल रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने भी ट्वीट कर कहा कि नागेश्वर राव के ख़िलाफ़ भ्रष्टाचार और आय से अधिक संपत्ति की कई गंभीर शिकायतें हैं।