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किसने रखा ‘फानी’ चक्रवात का नाम?…कैसे होता है साइक्लोन, टाइफून, हरिकेन में अंतर, पढ़े पूरी ख़बर और जाने यह गहरा राज

इनके नाम रखे जाने की प्रक्रिया भी कम रोचक नहीं है…

भुवनेश्वरMay 02, 2019 / 03:22 pm

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fani

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(भुवनेश्वर,महेश शर्मा): फानी को चक्रवात या साइक्लोन ही क्यों, टाइफून, हरिकेन क्यों नहीं कहा जाता है? यह मिलेनियम डॉलर का सवाल लोगों के जेहन में होगा। जानिए साइक्लोन, टाइफून, चक्रवात और हरिकेन में क्या अंतर होता है। फानी के भी नामकरण को लेकर दिलचस्प किस्सा है। ये सारे ही चक्रवातीय तूफान होते हैं। बस धरती पर उनकी जगह बदलने के अनुसार इन्हें अलग-अलग नामों से पुकारा जाता है।

 

यह है नाम का फेर

”जैसे अगर कोई चक्रवातीय तूफान अटलांटिक महासागर के क्षेत्र में आ रहा है तो इसे ‘हरिकेन’ कहा जाता है। वहीं अगर यह चक्रवात प्रशांत महासागर के क्षेत्र में आ रहा होगा तो इसे टाइफून कहा जाएगा। इतना ही नहीं अगर यह हिंद महासागर के क्षेत्र में पैदा हो रहा होगा तो इसे साइक्लोन कहा जाएगा। साइक्लोन को ही हिंदी में चक्रवात कहा जाता है।”

इन्होंने दिया फानी नाम

इनके नाम रखे जाने की प्रक्रिया भी कम रोचक नहीं है। लेकिन दिलचस्प बात यह है कि भारत के दक्षिण-पूर्वी हिस्सों को प्रभावित करने वाले इस चक्रवात का नाम बांग्लादेश का दिया हुआ है। इतना ही नहीं भारत में चक्रवात कहे जाने वाले इस तूफान को साइक्लोन, हरिकेन और टाइफून भी कहा जाता है। आखिर ऐसा क्यों है?….


यूं शुरू हुई नाम देने की परंपरा

आधुनिक युग में सबसे पहले नाम रखने की परंपरा यूरोप और अमेरिका में शुरू हुई। इसके बीच के समुद्र को अटलांटिक महासागर कहा जाता है। यहां आने वाले तूफानों के नाम मियामी का नेशनल हरिकेन सेंटर 1953 से रख रहा था। हालांकि अब विश्व मौसम विभाग ने बिल्कुल अंतरराष्ट्रीय स्टैंडर्ड की व्यवस्था कर दी है। इसके लिए पूरी दुनिया को 9 जोन यानि हिस्सों में बांट दिया गया है। अब किसी तूफान का नाम क्या होगा, यह उसके जोन पर निर्भर करता है।

 

पाकिस्तान समेत इन देशों ने भी दिए चक्रवातों को नाम

हिंद महासागर में आने वाले चक्रवातीय तूफानों के नाम रखे जाने का चलन पूरी गंभीरता के साथ सन् 2000 में तब शुरू हुआ, जब ‘विश्व मौसम विभाग’ ने ‘भारतीय मौसम विभाग’ को यह काम सौंपा। भारतीय मौसम विभाग ने ओमान से लेकर थाईलैंड तक 8 देशों से 8-8 नामों की एक लिस्ट की मांग की। इन देशों ने चार साल का वक्त लेकर 2004 तक भारत को नाम भेज दिए। अब इन आठों देशों को अंग्रेजी वर्णमाला के अक्षरों के अनुसार रखा गया जिससे देश इस क्रम में आए। बांग्लादेश, भारत, मालदीव, म्यांमार, ओमान, पाकिस्तान, श्रीलंका और थाईलैंड। फिर इनके आगे इनके सुझाए 8-8 नामों को लगा दिया गया जिससे कुल 64 नाम हो गए। ‘फानी’ इनमें से 57वां है। इसके बाद अब सिर्फ 7 तूफानों के नाम और बचेंगे। जिसके चलते नाम खत्म होने से पहले फिर से भारतीय मौसम विभाग को इन देशों से नामों के लिए सुझाव मांगने होंगे। इस तरह से 2017 की शुरुआत में ‘मारुथा’ चक्रवात आया था, जिसका नाम श्रीलंका का दिया हुआ था। इसके बाद ‘मोरा’ चक्रवात आया, जिसका नाम थाईलैंड ने रखा था। और 2017 के आखिरी में ओकी तूफान आया, जिसका नाम बांग्लादेश ने दिया था।

 

जब पाक ने दिया नाम और भारत को हुआ नुकसान

‘वरदा’ नाम के साइक्लोन ने 2016 में चेन्नई को प्रभावित किया था। उस वक्त इस साइक्लोन के नाम की भारत में चर्चा हुई क्योंकि यह नाम पाकिस्तान ने दिया था, जिसका मतलब होता है ‘लाल गुलाब। ‘ पिछले साल अक्टूबर में भारत में तितली नाम का चक्रवात आया, उसका नाम भी पाकिस्तान का ही दिया हुआ था।’

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