भुवनेश्वर

साइकिल पर बहन का शव ले जाकर करनी पड़ी अंत्येष्टि, गांव वालों ने बुरे वक्त में भी नहीं दिया साथ

एक ऐसी दुखद कहानी जिसे जानकर आपकी रूह कांप जाएगी। महिला को मौत के बाद नसीब नहीं हुए चार कंधे…

भुवनेश्वरOct 12, 2019 / 07:55 pm

Prateek

साइकिल पर बहन का शव ले जाकर करनी पड़ी अंत्येष्टि, गांव वालों ने बुरे वक्त में भी नहीं दिया साथ

(नबरंगपुर): किसी का देहांत होने पर तो दुश्मन भी परिवार को सांत्वना देने पहुंच जाते हैं। पर ओडिशा के नबरंगपुर जिले के लोगों से भरे एक गांव में महिला को मौत के बाद किसी का कंधा तक नसीब नहीं हुआ। जब कोई भी आगे नहीं आया तो महिला के भाईयों ने ही अपनी बहन की अंत्येष्टि की। पर घर से शमशान तक का सफर उन्होंने अपनी बहन के शव को लेकर कैसे तय किया यह जानकर आपकी रूह कांप जाएगी।


दरअसल हुआ यूं कि जिले के चंदाहांडी ब्लॉक के मोती गांव में शनिवार को 42 वर्षीय महिला नुआखाई पांडे की बीमारी से मौत हो गई। महिला अपने दो भाईयों टेकराम और पुरुषोत्तम पांडे के साथ रहती थी।


गांव वालों का दोनों भाईयों के साथ पुराना विवाद था। पर दोनों ने सोचा नहीं था कि इतनी विकट परिस्थिति में भी गांव वाले दुश्मनी निभाने से बाज नहीं आएंगे। ग्रामीणों ने महिला के अंतिम संस्कार करने में सहयोग देने से ही इंकार कर दिया। गांव वालों की बेरूखी ने परिवार का दुख कई गुना बढ़ा दिया।


इंतजार करने के बाद भी जब गांव वाले नहीं आए तो दोनों भाईयों ने ही बहन का अंतिम संस्कार करने की हिम्मत जुटाई। दोनों ने जैसे तैसे बहन के शव को साइकिल के पीछे बांधा और नदी की ओर चल दिए। नदी के किनारे ले जाकर दोनों ने बहन की अंत्येष्टि कर दी। इस दौरान भी कोई उनके साथ मौजूद नहीं रहा।


”सवाल यह है कि आपसी विवाद क्या इतना सर्वोपरि है कि मानवता को भूलकर हम गुस्से को हमेशा ही पाले रखे। अगर ऐसे समय में भी किसी का दुख नहीं बांटेंगे तो इसका मतलब है कि इंसान मानवता को पतन की ओर ले जा रहा है।”

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