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भुवनेश्वर

ओडिशा की धनुयात्रा शुरू, जहां रंगमंच में तब्दील हुआ शहर, 10 दिन के लिए यहां होगा ‘कंस’ राज

देश की शासन व्यवस्था से इतर इस छोटे से शहर में इस अवधि में कंस की ही सरकार चलती है, उसके हुक्म की तामील होती है…

भुवनेश्वरJan 12, 2019 / 03:21 pm

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(पत्रिका ब्यूरो,भुवनेश्वर): बरगढ़ में शुक्रवार 11 जनवरी से 21 जनवरी तक के लिए कंस का राज शुरू हो गया है। ओडिशा के बरगढ़ जिले में विश्वप्रसिद्ध धनुयात्रा का शनिवार को पहला दिन है। राजा कंस हाथी पर सवार को नित्य नगर भ्रमण पर निकलते हैं। पूरे 11 दिनों तक बरगढ़ शहर को मथुरा और अंबापाली को गोपपुर नामित किया गया है। इसे विश्व का सबसे बड़ा ओपेन थियेटर के रूप में कहा जाता है। लगभग 6 किलोमीटर में फैला शहर रंगमंच में परिवर्तित हो जाता है। द्वापर युग का विलेन कंस यहां 11 दिनों के लिए हीरो हो जाता है। देश की शासन व्यवस्था से इतर इस छोटे से शहर में इस अवधि में कंस की ही सरकार चलती है। उसके हुक्म की तामील होती है।


स्व. बीजू पटनायक को भी सजा दे चुके हैं कंस महाराज!

लोग बताते हैं कि एक मर्तबा आधुनिक ओडिशा के निर्माता पूर्व मुख्यमंत्री स्व. बीजू पटनायक को भी कंस महाराज सजा सुना चुके हैं। यदि आप यह नजारा देखना चाहते हैं तो इस साल 11-21 जनवरी को ओडिशा की राजधानी भुवनेश्वर से 320 किलोमीटर दूर बरगढ़ जिला जरूर चले आइए। वर्ष 1948 से यहां पर धनु यात्रा आयोजित होती चली आ रही है। यह यात्रा विश्वस्तर पर पहचान बना चुकी है।


इस आयोजन की खासियत यह कि इसमें बरगढ़ और अंबापाली के लोग भी पात्र बने हैं। पहले दिन युवराज कंस का अत्याचार और अपने पिता मथुरा नरेश उग्रसेन को गद्दी से हटा कर खुद बैठने का मंचन किया गया। महाराज कंस की भूमिका में भुवनेश्व प्रधान ने एक बार फिर से क्षेत्रीय जनता के बीच अपनी अभिनय क्षमता का जादू दिखाया।


माता समलेश्वरी में पूजा अर्चना के बाद नगर में धनुयात्रा निकाली गई। इसका आयोजन कमेटी ने किया। इस शोभायात्रा को देखने के लिए लोगों का खासा मजमा रहा। विभिन्न मार्गों से होते हुए शोभायात्रा हाटपदा पहुंची। यहां मथुरा नरेश का भव्य दरबार सजा था। इस अवसर पर जनप्रतिनिधि और अधिकारीगण मौजूद रहे। पूरे 11 दिन तक कृष्ण लीलाओं का मंचन किया जाएगा। अंतिम दिन यानी 21 जनवरी को भगवान श्रीकृष्ण कंस वध करेंगे। अपनी मौत की संभावनाओं से भयभीत कंस 20 को दरबार लगाएंगे और रणनीति तैयार करेंगे। यह मंचन आकर्षक बताया जाता है। धनुयात्रा में कंस के नगर भ्रमण के दौरान वह राज्य में सुधार के कार्यक्रम का आदेश करते हैं जिन्हें शासन और प्रशासन महत्व देता है।


सबसे बडे रंगमच का खिताब है नाम

वरिष्ठ पत्रकार सुरेंद्र होता कहते हैं कि बरगढ़ जिले को गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड में सबसे बड़े रंगमंच (ओपेन) की मान्यता मिली हुई है, क्योंकि धनुयात्रा के दौरान पूरा शहर ही रंगमंच में तब्दील हो जाता है। बरगढ़ के दूसरे आश्चर्य महाभारत काल के शासक कंस महाराज हैं। जिनका नाश खुद भगवान श्रीकृष्ण ने किया था। उसी कंस महाराज को धनु यात्रा के दौरान लोग बरगढ़ में हीरो मानते हैं। कंस महाराज को एक बेहतरीन शासक, प्रजा की देखभाल करने वाला राजा और दंडविधान को सुचारू रूप से लागू करने वाला शासक माना जाता है। उनके शासन में उनकी प्रजा खुशहाल रहती है।


कंस के अलावा किसी की नहीं चलती

ऐसी परंपरा है कि धनु यात्रा के दौरान केवल कंस महाराज की ही चलती है। यहां मंत्री, संतरी, डीएम, एसपी यानी सभी कंस महाराज के दरबार में हाजिरी लगाते हैं। यात्रा के दौरान कंस महाराज शहर में घूम-घूम कर विकास कार्यों का जायजा लेते हैं। गलती देखकर फटकार लगाना और अच्छे काम देखकर पुरस्कार देना उनके शासन का एक अहम कार्य है। बरगढ़ की जनता भी कंस महाराज को भरपूर सम्मान देती है। उनके हर आदेश का पूरी तरह पालन करती है। कोशिश होती है कि किसी तरह से उनके आदेश की अवहेलना न होने पाए। यही तो विशेषता है धनुयात्रा की।

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