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बद से बदतर होते जा रहे हालात,तेजी से गिर रही है ओड़िया बोलने वालों की संख्या,यह बताएं जा रहे कारण…

ओडिया के कम प्रयोग पर अलग अलग विशेषज्ञों ने भिन्न भिन्न कारण बताएं हैं…

भुवनेश्वरJul 18, 2018 / 06:08 pm

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महेश शर्मा की रिपोर्ट…

(भुवनेश्वर): ओडिया बोलने वालों की संख्या कम होती जा रही है। हालांकि हिंदी छोड़कर सभी क्षेत्रीय भाषाओं में बोलने वालों की संख्या में गिरावट आई है, लेकिन ओडिशा में ओडिया को जहां एक ओर प्रमोट करने में सरकार कहीं पीछे नहीं है, वहीं जनगणना रिपोर्ट के अनुसार ओडिया बोलने वालों की संख्या में लगातार गिरावट आ रही है।

 

परेशान कर देंगे ओडिया की स्थिति बताने वाले यह आंकडें

यदि आप 1971 से 2011 की जनगणना की रिपोर्ट देखें तो यही सच सामने आएगा। पहले 1971 की रिपोर्ट लें तो देश की कुल जनसंख्या का 3.62 प्रतिशत ओडिया भाषा में बोलते थे। पर बाद में 1981 की जनगणना में यह प्रतिशत तेजी से गिरना शुरू हो गया तो गिरता ही गया। 1981 में ओडिया बोलने वालों का प्रतिशत 3.46 प्रतिशत रह गया। और 1991 में 3.35 प्रतिशत ही ओडिया में लोग बोलते थे। और 2001 में यह 3.21 प्रतिशत ही रह गया। फिर 2011 की जनगणना रिपोर्ट के अनुसार यह प्रतिशत घटकर 3.10 प्रतिशत रह गया।

 

रिपोर्ट बता रही यह कारण

इस प्रकार 1971 से लेकर 2011 की जनगणना की रिपोर्ट देखें तो ओडिया की लोकप्रियता घटी दिखेगी। भाषाविदों का कहना है कि इन रिपोर्टों को देखें, तो पता चलता है कि बहुत अच्छी स्थिति नहीं है। लोगों में ओडिया के प्रति रुझान घट रहा है। ऐसा क्यों है, नयी पीढ़ी ओडिया से क्यों मुंह मोड़ रही है। उत्कल साहित्य समाज के उपाध्यक्ष डा.प्रवास आचार्य ने बताया कि ओडिया भाषा या किसी भी क्षेत्रीय भाषा के प्रति दिलचस्पी का कम होने का मुख्य कारण भूमंडलीकरण है। आर्थिक उदारवाद और बाजारीकरण का असर भाषाओं पर पड़ा है, तो ओडिया भी इससे अछूती नहीं रह पाई।


यह कह रहे विशेषज्ञ

डा.आचार्य कहते हैं कि प्रगतिवादी सोच ने भाषा को नुकसान पहुंचाया। तरक्की पसंद लोग यह सोचते हैं कि भविष्य में ओडिया उनके किस काम आएगी? जबकि ऐसा नहीं होना चाहिए। अब तो प्रतिस्पर्धा में क्षेत्रीय भाषाओं को स्थान मिलता है। ओडिशा और राज्य के बाहर ओडिया बहुतायत वाले क्षेत्रों में ओडिया शिक्षा का स्तर उठाया जाना चाहिए। उनका कहना है कि शिक्षा का स्तर बढ़ाने की जरूरत है। कला संस्कृति के क्षेत्र में ओडिशा का विश्व में स्थान है। भाषा को भी ऊपर उठाना होगा। सरकारी और गैरसरकारी संस्थाएं ध्यान दें, तो अभी कुछ नहीं बिगड़ा। ठीक हो सकता है।


हिंदी ने बनाई पकड़

आंकड़े के अनुसार देश की कुल जनसंख्या में 1971 की रिपोर्ट के अनुसार 36.99 प्रतिशत हिंदी बोलते थे। यह प्रतिशत 1981 में बढ़कर 38.74 प्रतिशत हो गया और 1991 में 39.29 प्रतिशत तथा 2001 में 41.03 प्रतिशत व 2011 की जनगणना रिपोर्ट में 43.63 प्रतिशत तक पहुंचा। यहां हिंदी सबसे ज्यादा लोकप्रिय हुई।

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