ज्ञात हो कि, कलक्टर नीलकंठ टेकाम ने जिले के ऐसे वनग्राम को चूना जहां एक साथ सैकड़ों एकड़ की जमीन को वनाधिकार पट्टे के तहत ग्रामीणों को वितरित किया गया हो। और इस कार्ययोजना को लेकर ग्रामीणों के सामने पहुंचे। ग्रामीणों को योजना के संबंध मे विस्तार से जानकारी दी गई और उनकी सहमति से ही ग्राम पंचायत झारा के आश्रित ग्राम मयूरडोंगर में यह प्रोजेक्ट राज्यशासन के दिशा-निर्देशों में शुरू किया गया। जहॉ एक चक वनाधिकार पट्टे की भूमि को कुछ समय के लिए प्रशासन ने अपने पास रखते हुए। इसमें जगह-जगह आवश्यकतानुसार तालाब, बोर खनन के साथ ही विभिन्न योजनाओं से जोड़कर यहॉ जमीन मालिकों के लिए व्यवस्था कर किसानों को लगातार कृषि विभाग के अधिकारियों के माध्यम से जागरूक किया जाता रहा।
पहली उपज लेकर कलक्टोरेट पहुंचे किसान
अपनी पहली उपज लेकर किसान बड़ी संख्या में मंगलवार को कलेक्टोरेट पहुंचे जहां उनके इस प्राकृतिक चावल की मांग देखते ही बन रही थी। जैविक तरीके से की गई इस उपज को लेने के लिए कुछ समय तक लोग खड़े रहे तो वही समय-सीमा की बैठक से निकल रहे अधिकारी-कर्मचारियों के साथ ही कलेक्टोरेट अपने काम से पहुंचे लोगों ने भी किसानों की इस उपज को हाथो-हाथ ले लिया। किसान जमधर, महेश कोर्राम, कार्तिक नेताम सहित अन्य ने बताया कि, यदि चावल बनने के बाद स्वाद पंसद नहीं आने पर वे इसे वापस भी ले लेगें। जानकारी के मुताबिक जिला प्रशासन किसानों की इस उपज को बकायदा पंजीयन कराने के बाद एक ट्रेडमार्क के साथ बेचने की योजना बना रही हैं। ,जिससे किसानों को फायदा मिल सके।