बिजनौर लोकसभा सीट के मतदाताओं का कहना है कि चुनाव से पहले नेता बहुत कुछ वादा करते हैं लेकिन विकास नहीं करते। बिजनौर की जनता स्थानीय भाजपा सांसद और बीजेपी प्रत्याशी से पूरी तरह नाखुश नजर आ रही है। दरअसल, भारतेंद्र बिजनौर से दो बार विधायक रह चुके हैं, लेकिन सांसद चुने जाने के बाद भी जनता के बीच काम को लेकर गांव स्वहेड़ी नहीं आये। जिससे यहाँ के लोग सांसद से नाराज़ हैं और अपना वोट दूसरे प्रत्यशियों को देने की बात कह रहे हैं।
ऐसे में आम जनता इस बार विकास को ध्यान में रखकर अपना वोट देना चाहती है। बिजनौर की राजनीतिक स्थिति पर नजर डालें तो इस लोकसभा में पहले बिजनौर नाम से एक ही संसदीय सीट थी। जो वर्तमान में अब दो सीट हो गयी हैं। परिसीमन के बाद नगीना सुरक्षित सीट 2009 में बनी है।
भारतेंद्र सिंह सबसे पहले साल 2002 और 2012 में बीजेपी से बिजनौर विधानसभा से विधायक रहे हैं। साल 2014 में विधायक रहते हुए इन्होंने भाजपा के टिकट पर लोकसभा चुनाव लड़ा था। जिसमें उन्होंने जीत दर्ज की थी।
इस लोकसभा सीट के पुराने इतिहास पर नजर डालें तो 1999 में यहाँ से बीजेपी से शीशराम रवि सांसद बने। 2004 में बीजेपी से ही मंगलराम प्रेमी सांसद बने। 2009 में ये सीट रालोद के कब्जे में चली गयी। जिसके सांसद संजय चौहान बने। 2014 में भाजपा से भारतेंद्र सिंह सांसद बने।