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बीकानेर

अष्टधातु से निर्मित 500 से 2025 वर्ष पुरानी 1116 दुर्लभ प्रतिमाएं आएगीं बाहर

इन प्रतिमाओं को विक्रम संवत 1639 में लाए थे बीकानेर, 27 नवम्बर से चिंतामणि जैन मंदिर में होगा महोत्सव, पूजन-अभिषेक के होंगे आयोजन

बीकानेरOct 26, 2017 / 08:55 am

अनुश्री जोशी

Ancient statues
पांच सौ से दो हजार साल पुरानी 1116 जैन प्रतिमाएं २७ नवम्बर को बीकानेर के चिंतामणि जैन मंदिर के गर्भगृह से बाहर निकाली जाएगी। मंदिर के महोत्सव के आयोजन में इन प्रतिमाओं का अभिषेक और विशेष पूजन किया जाएगा। विक्रम संवत 1639 में धातु से निर्मित इन दुलर्भ प्रतिमा सीकर से बीकानेर रियासत में लाकर मंदिर के गर्भगृह में रखवाया गया था। आठ साल बाद धातु निर्मित इन प्राचीन प्रतिमाओं को दर्शनार्थ गर्भगृह से निकाला जा रहा है।
पांच शताब्दी से अधिक प्राचीन श्रीचिंतामणि जैन मंदिर में 27 नवम्बर से एक दिसम्बर तक विशेष महोत्सव का आयोजन होगा। जैन श्वेताम्बर खरतरगच्छ संघ के गच्छाधिपति मणिप्रभ सूरिश्वर के सानिध्य में आयोजित महोत्सव के दौरान प्राचीन 1116 प्रतिमाओं का अभिषेक, विशेष पूजन किया जाएगा। मंदिर प्रन्यास के अध्यक्ष निर्मल धारीवाल ने बताया कि उत्सव में देशभर से श्रद्धालु पहुंचेंगे।
इस दौरान मंदिर परिसर में पांच महापूजन, प्रतिदिन पूजा-अर्चना, अभिषेक, दर्शन के आयोजन होंगे। उत्सव की पूर्णाहुति पर एक दिसम्बर को प्राचीन प्रतिमाओं को पुन: भूगर्भ भण्डार में विराजित किया जाएगा। इससे पूर्व 2009 में नवम्बर में इन प्रतिमाओं को अभिषेक, पूजन व दर्शनार्थ निकाला गया था। धारीवाल के अनुसार विक्रम संवत् 1022 से 1602 के मध्य की इन 1116 धातु प्रतिमाओं पर लेखांकित भी है।
87 साल में 6 बार निकाली
भुजिया बाजार स्थित श्री चिंतामणि जैन मंदिर में बीते 87 साल में इन प्राचीन प्रतिमाओं को केवल सात बार ही अभिषेक और दर्शनार्थ मंदिर के गर्भगृह से बाहर निकाला गया। विक्रम संवत् 1987, 1995, 2000, 2019, 2033, 2066 में प्रतिमाएं भूगर्भ भण्डार से निकाली गई थी।
11वीं से 16वीं शताब्दी तक की प्रतिमाएं
धारीवाल के अनुसार लेखों का अध्ययन करने से उस समय के आचार्यों, उनके गच्छों, श्रावकों के गोत्रों आदि की जानकारी प्राप्त होती है। ये प्रतिमांए 11वीं से 16वीं शताब्दी के मध्य की है। 11 वीं सदी की 9, 12वीं शताब्दी की 10, 13वीं शताब्दी की 63, 14वीं शताब्दी की 259, 15वीं शताब्दी की 436, 16वीं शताब्दी की 339 प्रतिमाएं हैं।
अकबर के कब्जे में थी प्रतिमाएं
धारीवाल ने बताया कि अकबर के सेनापति तुरसमखान ने विक्रम संवत् 1633 में राजस्थान के सिरोही क्षेत्र पर आक्रमण कर वहां के मंदिरों में स्थापित धातु की प्रतिमाओं को उठवा लिया। इनको गलाने के लिए फतेहपुर सीकरी ने जाया गया। इसकी जानकारी मिलने पर बीकानेर के दीवान कर्मचन्द बच्छावत ने प्रतिमाओं को गलाने से बचाने के लिए बादशाह अकबर को फतेहपुर सीकरी में बहुमूल्य उपहार भेंट किए।
बच्छावत ने अकबर से 1050 प्रतिमाओं को उन्हें सौंपने के बदले सोना देने का आग्रह किया। जिस पर बादशाह ने प्रतिमाएं कर्मचंद बच्छावत को भेंट कर दी। बादशाह ने बीकानेर रियासत के तत्कालीन महाराजा रायसिंह को प्रतिमाओं को सुरक्षित ले जाने की जिम्मेदारी सौंपी। जिस पर विक्रम संवत् 1639 में जैन समाज के श्रावक राजमहल गए तथा धूमधाम से प्रतिमाओं को चिंतामणि जैन मंदिर में लाकर रखी।

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