पीओपी की एक फैक्ट्री को महीनेभर संचालित करने के लिए ३० से ४० टन कच्चे जिप्सम की जरूरत होती है। जिप्सम के अवैध खनन के चलते फैक्ट्रियों को जिप्सत नहीं मिल रहा। फैक्ट्रियों में काम नहीं होने से श्रमिक खाली बैठे रहते हैं, जबकि फैक्ट्री मालिक को फैक्ट्री लगाने के लिए लाखों रुपए का निवेश करना पड़ता है
पीओपी की एक फैक्ट्री में माल तैयार करने से लोडिंग-अनलोडिंग तक 80-100 श्रमिक काम करते हैं। 550 फैक्ट्रियां बंद होने से 5500 से 6000 श्रमिक बेरोजगार हो गए। एक श्रमिक पर पर परिवार के चार सदस्यों के पालन-पोषण की जिम्मेदारी होती है।
जिलेभर में जब 850 फैक्ट्रियां संचालित थी, तब पीओपी फैक्ट्र मालिक आरएमएमएस के मार्फत जिप्सम खरीद रहे थे। इससे सरकार को हर माह करोड़ों रुपए का राजस्व मिल रहा था। बाद में जिप्सम का अवैध खनन होने
से फैक्ट्रियों को माल और सरकार को राजस्व मिलना बंद हो गया। सीधा-सीधा करोड़ों रुपए का नुकसान हो गया।
यहां पीओपी फैक्ट्रियांदंतौर, तंवरवाला, जैमलसर, नाल, शोभासर, बीछवाल, खारा, सियासर चौगान, खाजूवाला, खारी, सांखला फांटा, माधोगढ़।