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बीकानेर

दो सगे भाइयों समेत 51 बंदियों के लिए भी आजादी का दिन बना 15 अगस्त, स्वतंत्रता दिवस पर जेल से रिहा

सरकार ने प्रदेशभर की जेलों में बंद 51 कैदियों को रिहा करने का निर्णय लिया है। अब यह बंदी सोमवार को जेलों से रिहा होंगे। इनमें दो सगे भाई भी शामिल हैं।

बीकानेरAug 15, 2022 / 01:08 pm

Brijesh Singh

दो सगे भाइयों समेत 51 बंदियों के लिए भी आजादी का दिन बना 15 अगस्त, स्वतंत्रता दिवस पर जेल से रिहा

दो सगे भाइयों समेत 51 बंदियों के लिए भी आजादी का दिन बना 15 अगस्त, स्वतंत्रता दिवस पर जेल से रिहा

बीकानेर. प्रदेश की जेलों में वृद्ध व अच्छे आचरण के साथ-साथ सजा का 50 प्रतिशत हिस्सा भुगत चुके बंदियों को सरकार ने 15 अगस्त पर सौगात दी है। सरकार ने प्रदेशभर की जेलों में बंद 51 कैदियों को रिहा करने का निर्णय लिया है। अब यह बंदी सोमवार को जेलों से रिहा होंगे। सरकार के निर्णय के बाद जेल प्रशासन ने इन बंदियों को रिहा करने संबंधी सभी दस्तावेज पूरे कर लिए हैं। बंदियों के परिजनों को सूचना दे दी गई है। जेल प्रशासन की ओर से जब चुनिंदा बंदियों को रिहा करने संबंधी सूचना दी गई, तो उनके चेहरे चमक उठे। बीकानेर जले से तीन बंदियों को रिहा किया जाएगा।

बीकानेर से इन्हें मिलेगी रिहाई

चूरू जिले के राजगढ़ थाना क्षेत्र के हरदयालपुरा निवासी गोपीराम (69) पुत्र रेखाराम माली एवं बनवारीलाल (65) पुत्र रेखाराम माली को रिहाई मिलेगी। दोनों बंदी सगे भाई हैं। यह भादंसं की धारा 304/34 एवं 323 में सात साल का कठोर कारावास की सजा भुगत रहे हैं। दोनों भाइयों ने सजा के तीन साल नौ महीने एवं तीन दिन पूरे कर लिए हैं। साथ ही 60 वर्ष से अधिक उम्र होने एवं जेल में आचरण अच्छा होने से सरकार ने स्वतंत्रता दिवस पर रिहा किया है। चूरू जिले के सरदारशहर राम मदिर टांटिया वाला कुआं मोहल्ला निवासी रविन्द्र सिंह (42) पुत्र युद्धवीर सिंह राजपूत को रिहा किया जाएगा। इन्हें न्यायालय ने पांच साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई थी। उसने तीन साल 11 महीने 24 दिन की सजा भुगत ली है।

इस श्रेणी के बंदियों को मिला फायदा

गृह मंत्रालय की ओर से बंदियों को रिहा करने के दिशा-निर्देश के अनुसार 50 वर्ष से अधिक की महिला बंदी, जिसने अपनी सजा का 50 प्रतिशत पूरा कर लिया है। 60 वर्ष से अधिक उम्र के पुरुष बंदी, जिन्होंने अपनी सजा अवधि का 50 प्रतिशत पूरा कर लिया है। इसके अलावा शारीरिक रूप से अक्षम बंदी, विकलांग या जिन्होंने अपनी सजा का 50 प्रतिशत पूरा कर लिया है। मानसिक रूप से बीमार बंदी, जिन्हाेंने अपनी सजा पूर कर ली है, लेकिन जुर्माने का भुगतान न करने के कारण जेल में हैं। ऐसे गैर आजीवन कारावास की श्रेणी में आने वाले बंदियों को रिहा करने का निर्णय लिया गया है। मृत्युदंड और आजीवन कारावास के दोषी, आतंकी गतिविधियों में शामिल बंदी, एनडीपीएस के आरोप में दोषी, बलात्कार, मानव तस्करी, जाली नोटों और मनी लांिड्रग को इस छूट का लाभ नहीं दिया गया है।

 

 

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