सटोरियों ने बीकानेर के अलावा जयपुर, जोधपुर, नागौर, सुजानगढ़ व फलौदी में अभी से डेरा डाल दिया है। मोटे किराए पर मकान लिए गए । मकान मालिक भी पुलिस वेरिफिकेशन नहीं करवा रहे। नतीजन सटोरिये बेखौफ सट्टे का कारोबार करते हैं। पुलिस को इन सबका पता होने के बावजूद वह आंखें मूंद कर बैठी रहती है। उच्चाधिकारियों का दबाव पडऩे पर पुलिस छोटी-मोटी कार्रवाई कर इतिश्री कर लेती है।
क्रिकेट सट्टे में रुपया खूब है। ऐसे में मजदूर तबके के लोग सर्वाधिक सट्टा करते हैं। ज्यादा रुपया कमाने के चक्कर में मजदूर वर्ग दिनभर की मेहनत की गाढ़ी कमाई शाम को सट्टे में गंवा देते है, जिससे घरेलू हिंसा बढ़ती है। हालात यह होते हैं कि कई बार घरेलू हिंसा से बड़ी वारदातें तक हो जाती है।
क्रिकेट सट्टे में सटोरियों को दोनों तरफ से मुनाफा मिलता है। वह सट्टा लगवाते है तब कमाते है और हारने वाला पैसा समय पर चुकता नहीं करता है तो मोटा ब्याज वसूलते है। सटोरियों का सट्टे के साथ साथ सूदखोरी का धंधा भी जोरों पर चलता है।
वाट्सअप नंबरों पर है संपर्क
सटोरिये बेहद चौकसी और अपनी व्यवस्था करका सट्टा चलाते है। इसके बावजूद वह बेहद चौकस रहते है। सटोरिये अपने पंटर व सट्टा करने वालों से वाट्सअप कॉल कर बात करते हैं। सट्टा करने वाली जगह से कुछ दूरी पर अपने आदमी छोड़े रखते है ताकि कोई हलचल हो तो वह सतर्क हो जाए।
आईपीएल शुरू होने से ठीक सात दिन पहले जयपुर पुलिस ने प्रतापनगर इलाके में क्रिकेट बुकियों के बड़े गिरोह का पर्दाफाश किया। जयपुर में लाखों रुपए नकदी के साथ आठ नामी सटोरियों को पकड़ा गया है। बताते हैं कि इन बुकियों के तार बीकानेर के सटोरियों से जुड़े हुए हैं।
इनका कहना है…
बीकानेर में क्रिकेट सट्टे पर अंकुश लगाने का लिए प्रभावी प्लान बनाया है। नामी सटोरियों को चिन्हित किया है, सट्टे की हर गतिविधि पर नजर रखी जाएगी। शहर या कस्बे के किसी क्षेत्र में सट्टा होता और पुलिस पकड़ती है तो संबंधित बीट कांस्टेबल, बीट प्रभारी की जिम्मेदारी तय की जाएगी।
पवनकुमार मीणा, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक शहर