यह है महत्व
निर्जला एकादशी का शास्त्रों में भी खास महत्व बताया गया है। पंचागकर्ता पंडित राजेन्द्र किराड़ू के अनुसार महाभारत काल में भीम ने इस उपवास को रखा था। इस कारण इसे भीमसेन एकादशी भी कहते हैं। इस दिन भगवान विष्णु को प्रसन्न करने के लिए निर्जल(बिना पानी) के उपवास किया जाता है। भगवान विष्णु के पूजन के बाद हवन, दान-पुण्य करने का खास महत्व है। बताया जाता है कि वर्षभर में जितनी एकादशी आती है, निर्जला पर उपवास करने से उन सभी का फल मिलता है।
निर्जला एकादशी का शास्त्रों में भी खास महत्व बताया गया है। पंचागकर्ता पंडित राजेन्द्र किराड़ू के अनुसार महाभारत काल में भीम ने इस उपवास को रखा था। इस कारण इसे भीमसेन एकादशी भी कहते हैं। इस दिन भगवान विष्णु को प्रसन्न करने के लिए निर्जल(बिना पानी) के उपवास किया जाता है। भगवान विष्णु के पूजन के बाद हवन, दान-पुण्य करने का खास महत्व है। बताया जाता है कि वर्षभर में जितनी एकादशी आती है, निर्जला पर उपवास करने से उन सभी का फल मिलता है।
ठण्डाई के ओळे निर्जला एकादशी पर चीनी से बने सामान्य ओळों के साथ ही ठण्डाई (खसखस) से बने स्पेशल ओळे भी खास पसंद किए जा रहे हैं। इनको दूध या पानी में सीधे मिलाकर सेवन किया जा सकता है। बाजार में यह २४० रुपए प्रति किलो बिक रहे हैं। इसके साथ ही सामान्य चीनी के ओळे ६० रुपए प्रति किलो है। स्पेशल डूंगरशाही सेव १२० रुपए किलो, स्पेशल सिंगाड़ा सेव ८० रुपए व सामान्य सेव ६० रुपए प्रति किलो है। सेव बनाने के लिए सिंगाड़ा आटे का भुजिया तैयार कर उन पर चीनी लगाई जाती है।
सेवन गुणकारी
बताया जाता है कि सिंगाडा़ आटा से बनी सेव, ठंडाई व चीनी से निर्मित ओळों इस मौसम में सेवन करना गुणकारी होता है। खासकर लू के मौसम में यह ठंडक पहुंचाती है। सेव-ओळे के विक्रेता गोपाल जोशी के अनुसार बीकानेर में स्थायी के साथ ही दर्जनों अस्थायी दुकानें भी है। इस सीजन में निर्जला एकादशी तक बीकानेर में करीब पांच से चार हजार बोरी चीनी की खपत हो जाएगी।
बताया जाता है कि सिंगाडा़ आटा से बनी सेव, ठंडाई व चीनी से निर्मित ओळों इस मौसम में सेवन करना गुणकारी होता है। खासकर लू के मौसम में यह ठंडक पहुंचाती है। सेव-ओळे के विक्रेता गोपाल जोशी के अनुसार बीकानेर में स्थायी के साथ ही दर्जनों अस्थायी दुकानें भी है। इस सीजन में निर्जला एकादशी तक बीकानेर में करीब पांच से चार हजार बोरी चीनी की खपत हो जाएगी।