पीबीएम में ऐसा ही एक वाकया रविवार को जे वार्ड में सामने आया। एक मरीज के बेड के पास दवाएं रखी हुई थी। वहां रखे डिब्बों के बीच एक सांप दिखाई पड़ा। वार्ड में सांप की बात सुनकर अधिकतर मरीज बेड छोड़कर भाग गए। पीबीएम अस्पताल में आठ सालों में अभी तक 808 सांप और 36 गोयरे पकड़े जा चुके हैं। ये जहरीले सांप पीबीएम अस्पताल की व्यवस्था के लिए ‘आस्तिन के सांप’ साबित हो रहे हैं।
पीबीएम अस्पताल में पिछले साल अस्पताल परिसर की सफाई का डेढ़ करोड़ रुपए में ठेका दिया था। इसके बावजूद जगह-जगह कचरे के ढेर, जहरीले जानवारों का होना, सड़ांध मारते शौचालय की परेशानी मरीजों और परिजनों ने झेली। इस बार सफाई का सालाना ठेका दो करोड़ 72 लाख रुपए में हुआ है। अब भी यदि साफ-सफाई नहीं होती तो यह प्रशासनिक कमी मानी जाएगी, ना कि बजट की कमी।
इससे पहले शिशु अस्पताल और लेबर रूम तक में पुराने रिकॉर्ड व गले कागजों के बीच सांप पकड़े गए। पूरे अस्पताल में चैम्बर खुले पड़े हैं। खुले चैम्बर के पाइपों से सांप वार्ड में घुस जाते हैं। अस्पताल परिसर में वार्डों के पीछे कचरे का ढेर है। वहीं कींकर, झाडिय़ां और चूहों के बिलों की भरमार है। अस्पताल में कचरा, गंदगी के कारण चूहों की तादाद इतनी है कि रात को जब लोगों का आवागमन कम रहता है तो चूहों का आवागमन बढ़ जाता है। प्रशासन का इन सांपों से छुटकारा पाने और पीबीएम की साफ-सफाई को लेकर ठेका राशि बढऩे के बावजूद ध्यान नहीं है।
सर्वधर्म सेवाकर्ता संस्था अध्यक्ष मोइम्मद इकबाल ने रविवार को जे वार्ड में कोबरा सांप पकड़ा। उनका कहना है अब तक पीबीएम अस्पताल में 808 सांप पकड़े हैं, जबकि पूरे शहर में कुल 1639 सांप पकड़े गए हैं। इसमें से आधे पीबीएम में पकड़े गए हैं। उनका कहना है कि गंदगी, आेपन चैम्बर और चूहों का साम्राज्य सांपों के संवद्र्धन का कारण है।