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बीकानेर

पीबीएम में बढ़ता बोझ,नहीं है पद भरने की सोच

हालात : पीबीएम में कुल 1821 पद स्वीकृत वर्तमान में 949 पड़े हैं रिक्त

बीकानेरOct 23, 2021 / 12:32 pm

Atul Acharya

पीबीएम में बढ़ता बोझ,नहीं है पद भरने की सोच

पीबीएम में बढ़ता बोझ,नहीं है पद भरने की सोच

-जयप्रकाश गहलोत

बीकानेर. पिछले दस सालों में संभाग के सबसे बडे अस्पताल में काम का बोझ बढ़ रहा है। सरकार हर साल नई-नई योजनाएं ला रही है लेकिन योजनाओं के सफल व सुचारु संचालन का जिम्मा निभाने वाले कार्मिकों की भर्ती नहीं कर रही है। दो हजार करोड़ के करीब नए विभागों के लिए भवन बन गए हैं लेकिन कर्मचारी बढ़ाने के नाम पर प्रगति शून्य है। नतीजन न योजनाओं का काम सही हो रहा है और ना ही मरीजों को राहत मिल रही है। हालात यह है कि पीबीएम अस्पताल में स्वीकृत पदों में से ५२ फीसदी खाली है। इनमें चिकित्सा, नर्सिंग मंत्रालयिक, वार्ड बॉय, सफाईकर्मी सहित विभिन्न संवर्ग में १८२१ पद स्वीकृत हैं। वर्तमान में ८७२ ही कार्यरत हैं जबकि ९४९ पद खाली है। पीबीएम अस्पताल में दो दशक पहले मंत्रालयिक सेवा के कर्मचारियों के ५२ पद स्वीकृत थे। इतने सालों में मंत्रालयिक पदों को बढ़ाया नहीं गया बल्कि हर साल कम होते जा रहे हैं। वर्तमान में केवल २८ मंत्रालयिक कर्मचारी ही कार्यरत हैं। इन महत्वपूर्ण पदों के रिक्त होने से काम बुरी तरह प्रभावित हो रहे हैं।

१६ योजनाओं के लिए महज चार लिपिक
वर्तमान में एमएनसीवाई, जेएसवाई योजना, राज लक्ष्मी, मुख्यमंत्री चिरंजीवी स्वास्थ्य बीमा योजना सहित अनेक योजनाएं चल रही है। इन सभी योजनाओं के सफल संचालन के लिए एक योजना के लिए कम से कम तीन से चार लिपिक होने जरूरी है लेकिन पीबीएम अस्पताल में १६ योजनाओं के लिए महज चार लिपिक हैं। एक लिपिक के जिम्मे चार योजनाओं का काम है।

पीबीएम में रिक्त पदों की स्थिति
पद स्वीकृत रिक्त
नर्सिंग ट्यूटर १९ ०३
नर्स श्रेणी-1 २२६ १२३
नर्स श्रेणी-2 ७३० २३८
सहा-लेखाधिकारी ०३ ०१
साक्षर परिचारक ०७ ०६
फिजियोथेरेपिस्ट ०४ ०२
डायटिशियन ०२ ०२
वरिष्ठ रेडियोग्राफर १५ ०५
सहा. रेडियोग्राफर २२ ११
व. तक. सहायक १६ १६
व. लैब टेक्नीशियन २४ ०२
लैब टेक्नीशियन २९ ०९
वार्ड बॉय २३९ १४४

यह विभाग खुले नए
जिरियाट्रिक, डायबिटिक केयर सेंटर, ट्रोमा सेंटर, यूरोलॉजी साइंसेज, मानसिक रोग विभाग, न्यू ओपीडी विंग, एमसीएच, सुपर स्पेशलियटी सेंटर, श्वसर रोग विभाग ओपीडी सहित दो अन्य विभाग नए खुले हैं। इन विभागों के लिए करीब दो हजार करोड़ की लागत से भवन निर्माण व मेडिकल उपकरणों पर लागत आई है लेकिन स्टाफ के लिए कोई खास प्रयास नहीं हुए हैं। पीबीएम में मौजूदा स्टाफ से ही काम चलाया जा रहा है।

अटक रहे काम
नर्सिंग स्टाफ, मंत्रालयिक कर्मचारी सभी की कमी है, जिससे महत्वपूर्ण काम अटकते हैं। सरकार को पत्र लिखा है। योजनाओं के अनुरूप स्टाफ हो तो आमजन को बेहतर सुविधा मिले।
– डॉ. परमेन्द्र सिरोही, अधीक्षक पीबीएम अस्पताल
्रकाम का बोझ बढ़ा
मंत्रालयिक कर्मचारियों के पद रिक्त हैं। काम बढऩे से जो मंत्रालयिक कर्मचारी है उन पर काम का अतिरिक्त भार है। कोई भी काम समय पर नहीं हो रहा। जन कल्याणकारी योजनाओं के काम अटक रहे हैं, जिससे आमजन परेशान हो रहा है। सरकार को इस ओर ध्यान देना चाहिए।
– मनोज देराश्री, अध्यक्ष मंत्रालयिक कर्मचारी यूनियन पीबीएम अस्पताल

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