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बीकानेर

कोरोना की तकलीफ को हल्का कर रहा पीबीएम का कॉलिंग प्रोजेक्ट

कोरोना की तकलीफ को हल्का कर रहा पीबीएम का कॉलिंग प्रोजेक्ट

बीकानेरJan 15, 2021 / 07:06 pm

Jai Prakash Gahlot

कोरोना की तकलीफ को हल्का कर रहा पीबीएम का कॉलिंग प्रोजेक्ट

कोरोना की तकलीफ को हल्का कर रहा पीबीएम का कॉलिंग प्रोजेक्ट

बीकानेर. कोरोना से ठीक होने के बाद भी लोग आम पीड़ा को सह रहे हैं। किसी का सिरदर्द तो किसी को पैदल चलने में परेशानी तो किसी को स्वाद नहीं आ रहा है। सांस लेने में परेशानी, चक्कर आना, थकान लगना, जोड़ों में दर्द, जैसे लक्षणों से लोग परेशान हो रहे हैं।
चिकित्सक इसे पोस्ट कोविड कॉम्प्लीकेशन कह रहे हैं। हालांकि ऐसे मरीजों को अस्पताल में भर्ती होने की जरूरत नहीं है लेकिन उन्हें उचित चिकित्सकीय परामर्श जरूरी है। बीकानेर में कोविड से नेगेटिव होने के बाद भी मरीजों के लगातार पोस्ट कोविड ओपीडी में पहुंचने पर कॉलिंग प्रोजेक्ट शुरू किया गया। एक जनवरी से शुरू की गई इस व्यवस्था में अब तक कोविड पॉजिटिव से नेगेटिव हो चुके करीब एक हजार मरीजों से संपर्क किया जा चुका हैं।
एक नजर इधर…

एक इंसान एक मिनट में १५ बार सांस लेता है और वह १८ बार लेता है तो समझिए उसे सांस लेने में दिक्कत हो रही है। अगर कोई व्यक्ति २० से २५ बार ले रहा है तो इसका मतलब उसका फेंफड़ा सांस को अपनी क्षमता के अनुसार साफ नहीं कर रहा है। इस कारण हार्ट को ज्यादा पंप करना पड़ रहा है। ऐसा तब होता है जब कोविड मरीज के फेंफड़ों में वायरस की वजह से फाइब्रोसिस हो जाता है। स्वाद और याददाश्त की क्षमता पर भी गहरा असर छोड़ रहा है। स्वाद का पता चलने की समस्या हमेशा के लिए रह सकती है। वहीं मानसिक तनाव बढऩे से याददाश्त नहीं रहती।
यह दे रहाकोविड

एक बार कोविड हुए व्यक्ति को दुबारा कोविड होने का खतरा कम होता है लेकिन वायरल फीवर, टीबी आदि का खतरा ज्यादा रहता है।
सांस में लेने में दिक्कत होती है। गले में सूखापन, ब्लड प्रेशर पर असर, डायबिटिज का खतरा।
कोविड के कारण फेंफड़ों में फाइब्रोसिस बनने लगता है, ऐसे में चिकित्सक से सलाह व उपचार जरूरी है।
लापरवाही से बढ़ सकता है खतरा
मेडिसिन विभाग के वरिष्ठ प्रोफेसर डॉ. सुरेन्द्र कुमार वर्मा बताते हैं कि कोविड-१९ संक्रमण होने के बाद मरीज मुख्यतया फेंफड़ें में दिक्कत आती है, जिसके कारण पोस्ट कोविड लंग्स सिंड्रोम होता है। इसके कारण शरीर में ऑक्सीजन की मात्रा निरंतर कम होती जाती है। फेफड़ों की ऑक्सीजन लेने की क्षमता भी कम हो जाती है। ज्यादा गंभीर स्थिति में ऑक्सीजन भी लेनी पड़ती है और अस्पताल में भर्ती भी होना पड़ जाता है। ऐसी परेशानियों में मरीज-परिजन घबराएं नहीं। चिकित्सकीय परामर्श लेकर उचित उपचार लेवें।
कॉलिंग प्रोजेक्ट के परिणाम बेहतर
&कॉलिंग प्रोजेक्ट के तहत अब तक एक हजार से अधिक मरीजों से संपर्क कर उन्हें फोन पर चिकित्सकीय परामर्श दे चुके हैं। कोरोना सर्वाधिक हार्ट और फेंफड़ों पर असर करता है। कोरोना के बाद होने वाली समस्या को पोस्ट कोविड कॉम्प्लीकेशन कहते हैं।
– डॉ. बीके गुप्ता, विभागाध्यक्ष मेडिसिन विभाग पीबीएम अस्पताल
यहां यह सुविधा
पोस्ट कोविड वार्ड में करीब ४० बैड है। यहां कोरोना से नगेटिव हो चुके मरीजों का इलाज किया जाता है। वे मरीज जो कोरोना से तो नेगेटिव हो चुके हैं लेकिन उन्हें किसी न किसी तरह की तकलीफ है। इसके अलावा १९ बैड का आईसीयू हैं। इसके अलावा यहां सभी जरूरी सुविधाएं उपलब्ध है।

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