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बीकानेर

रेल संग्रहालय देखने में नहीं है रुचि, धूल फांक रहे उपकरण

कई उपकरण बने इतिहास
 

बीकानेरMay 08, 2019 / 09:39 am

Ramesh Bissa

Bikaner Rail Museum news

रेल संग्रहालय देखने में नहीं है रुचि, धूल फांक रहे उपकरण

बीकानेर. मीटर गेज ट्रेन के कोच। हैंड पंप से पानी निकालना। हाथ से संचालित क्रेन सरीखे रेलवे के कई एेसे उपकरण थे, जो आज इतिहास बन गए हैं। इनकी खूबियों से आमजन को रूबरू कराने के लिए उत्तर पश्चिम रेलवे बीकानेर मंडल ने रेलवे स्टेशन परिसर में एक संग्रहालय बनाया गया था। बीकानेर रेलवे स्टेशन के छह नम्बर प्लेटफार्म से बाहर स्थित यह संग्रहालय आम दर्शकों को तरस गया। रेलवे ने इसे वर्ष 2012 में बनाया था, लेकिन आमजन की इसके प्रति रुचि नहीं बनी। अब तो संग्रहालय के प्रवेशद्वार पर ताला ही लगा रहता है।
35 लाख की लागत
बीकानेर रेलवे स्टेशन के दूसरे प्रवेश द्वार (छह नम्बर प्लेटफार्म) के बाहर की तरफ बने बीकाणा धरोहर रेल संग्रहालय के निर्माण में 35 लाख रुपए की लागत आई थी। इसमें हाथ से इंजन में कोयला डालने की क्रेन, पुराने हैंड पंप, मीटर गेज ट्रेन के कोच, टूल बॉक्स सहित कई ऐसे उपकरणों को संग्रहित किया गया है, जो आजकल प्रचलन में नहीं है। साथ ही यह संसाधन किस समय रेलवे में काम लिए जाते थे, उनका पूरा विवरण भी हैं। रेलवे की नजर में यह एक ऐतिहासिक धरोहर है।
सिरे नहीं चढ़े प्रयास
रेलवे ने स्थानीय स्तर पर संग्रहालय तक आम लोगों को लाने के लिए कई बार प्रयास भी किए। इसके लिए योजनाएं भी बनी, मगर प्रयास सिरे नहीं चढ़े। प्रचार-प्रसार व जागरूकता के अभाव में आम लोगों ने रुचि नहीं दिखाई। वर्तमान में लंबे समय यह बंद पड़ा है।
रेल संग्रहालय से लोगों को जोडऩे के लिए रेलवे को नए सिरे से पहल करनी होगी। एक ही छत के नीचे रेलवे की धरोहर समाई है। लेकिन आज भी युवा, स्कूली बच्चे व आमजन इससे दूर है। इसकी मुख्य वजह रेलवे को जागरूकता जगाने का काम करना होगा। प्रचार-प्रसार भी करना होगा।
विनोद भटनागर, सदस्य, सीनियर सिटीजन फोरम।

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