तीन करोड़ की आएगी लागत
आरयूआईडीपी के कनिष्ठ अभियंता सुरेन्द्र चौधरी के अनुसार एक तलाई पर करीब 1 करोड 49 लाख रुपए की लागत आएगी। दोनों तलाईयों पर करीब तीन करोड़ रुपए खर्च होंगे। दोनों तलाईयां कच्ची होगी व जल संग्रहित रहेगा।
बारिश जल प्रमुख
दोनों तलाईयों में बारिश का जल अधिक संग्रहित रहे यह प्रमुख रहेगा। जेईएन चौधरी के अनुसार बारिश का पानी पेड़-पौधों की सिंचाई के साथ पशु-पक्षियों के पीने के काम भी आ सकेगा। जरुरत पड़ने पर इनमें एसटीपी से शोधित पानी डाला जाएगा।
नौ करोड़ लीटर जल रहेगा संग्रहित
सुजानदेसर क्षेत्र में 150 मीटर लम्बाई 150 मीटर चौड़ाई 3 मीटर गहराई आकार की दो तलाईयां बन रही है। एक तलाई की क्षमता लगभग 4 करोड़ 50 लाख लीटर पानी भराव की रहेगी। दोनों तलाईयों में नौ करोड़ लीटर पानी संग्रहित रह सकेगा।
हो सकेगा जल का उपयोग
सुजानदेसर क्षेत्र में काली माता मंदिर के पास 20 एमएलडी का एसटीपी है। वर्तमान में करीब 7 से 9 एमएलडी पानी का रोज शोधन हो रहा है। शोधित पूर्ण पानी का वर्तमान में उपयोग नहीं हो रहा है। शोधित पानी खुले में बिना उपयोग के बह रहा है। तलाई में एकत्रित कर पेड़-पौधों की सिंचाई करने से शोधित पानी का उपयोग हो सकेगा।
पत्रिका ने उठाया मुद्दा
शहर में िस्थत एसटीपी से शोधित हो रहे पानी का उपयोग नहीं होने का मुद्दा राजस्थान पत्रिका ने प्रमुखता से उठाया। पत्रिका में खुले में बह रहा शोधित पानी, उपयोग हो तो बदले शहर की फिजा शीर्षक से समाचार प्रमुखता से प्रकाशित किया। जिला प्रशासन का ध्यान एसटीपी से शोधित हो रहे पानी की ओर आकृष्ट किया। जिला कलक्टर भगवती प्रसाद कलाल ने एसटीपी का निरीक्षण किया व शोधित पानी से एक लाख पौधे तैयार करने की नर्सरी प्रारंभ करने की बात कही। नर्सरी के लिए तैयारियां प्रारंभ हो गई है। शोधित पानी से पौधे पनपेंगे।