‘राजस्थान पत्रिकाÓ ने जब इस संबंध में पड़ताल की तो सामने आया कि शहर के अधिकतर तरणताल बिना किसी प्रशासनिक स्वीकृति के ही चल रहे हैं। एेसे में सवाल उठता है कि अगर यहां कोई हादसा होता है तो इसकी जवाबदेही किस महकमे की होगी। नगर निगम और नगर विकास न्यास की सूची में शहर का कोई भी तरणताल नहीं होने से यहां अधिकारियों ने इस दिशा में आंखें मूंद रखी हैं।
५० से अधिक तरणताल
एक अनुमान के मुताबिक शहर में ५० से अधिक तरणताल हैं। इन तरणताल का व्यावसायिक उपयोग होने के बावजूद इनकी जिम्मेदारी अभी तक तय नहीं की गई है। यहां के लग्जरी होटलों के साथ फार्म हाउस, रिसोर्ट तथा मेडिकल कॉलेज और रेलवे क्लब सरीखे सरकारी परिसरों में भी इनका संचालन हो रहा है।
एक अनुमान के मुताबिक शहर में ५० से अधिक तरणताल हैं। इन तरणताल का व्यावसायिक उपयोग होने के बावजूद इनकी जिम्मेदारी अभी तक तय नहीं की गई है। यहां के लग्जरी होटलों के साथ फार्म हाउस, रिसोर्ट तथा मेडिकल कॉलेज और रेलवे क्लब सरीखे सरकारी परिसरों में भी इनका संचालन हो रहा है।
न्यास के पास नहीं जिम्मा
नगर विकास न्यास के पास तरणताल के पंजीयन, इनके संचालन व जांच का जिम्मा नहीं है। होटल व रिसोर्ट की व्यावसायिक गतिविधियों की अनुमति मात्र न्यास देता है। आवासीय क्षेत्रों में होने वाली व्यावसायिक गतिविधियों की जांच न्यास करता है।
सुनीता चौधरी,सचिव, नगर विकास न्यास बीकानेर
हमारे पास कोई सूची नहीं
नगर निगम के पास शहर में संचालित तरणताल की कोई सूची उपलब्ध नहीं है। निगम की ओर से एक भी तरणताल पंजीकृत नहीं है। इस दिशा में उच्चाधिकारियों से मार्गदर्शन लेकर कार्रवाई की जाएगी।
प्रदीप के गवांडे, आयुक्त, नगर निगम बीकानेर
नगर निगम के पास शहर में संचालित तरणताल की कोई सूची उपलब्ध नहीं है। निगम की ओर से एक भी तरणताल पंजीकृत नहीं है। इस दिशा में उच्चाधिकारियों से मार्गदर्शन लेकर कार्रवाई की जाएगी।
प्रदीप के गवांडे, आयुक्त, नगर निगम बीकानेर