परिजनों को फोन किया, बोली लगा रही हूं फांसी
सहपाठी छात्रों के मुताबिक आयुष सोमवार को दम्माणी हॉस्पीटल में ड्यूटी करके करीब पौने तीन बजे कमरे में लौटी थी। उसके बाद उसने कमरा बंद कर चुन्नी से पंखे के हुक से फांसी का फंदा बनाकर झूल गई। फांसी लगाने से पहले उसने अपने परिजनों को फोन किया। उसने फोन कर कहा कि मैं फांसी लगा रही हूं, जिससे घर वाले घबरा गए। आयुष के भाई ने उसके नंबरों पर फोन किया लेकिन उसने रिसीव नहीं किया। इस पर उसके भाई ने आयुष की सहेलियों को फोन किया। सहेलियों ने उसका कमरा खटखटाया तो उसने नहीं खोला। तब आयुष की सहेलियां हॉस्टल में तैनात गार्ड को बुलाकर लाई।
सहपाठी छात्रों के मुताबिक आयुष सोमवार को दम्माणी हॉस्पीटल में ड्यूटी करके करीब पौने तीन बजे कमरे में लौटी थी। उसके बाद उसने कमरा बंद कर चुन्नी से पंखे के हुक से फांसी का फंदा बनाकर झूल गई। फांसी लगाने से पहले उसने अपने परिजनों को फोन किया। उसने फोन कर कहा कि मैं फांसी लगा रही हूं, जिससे घर वाले घबरा गए। आयुष के भाई ने उसके नंबरों पर फोन किया लेकिन उसने रिसीव नहीं किया। इस पर उसके भाई ने आयुष की सहेलियों को फोन किया। सहेलियों ने उसका कमरा खटखटाया तो उसने नहीं खोला। तब आयुष की सहेलियां हॉस्टल में तैनात गार्ड को बुलाकर लाई।
पिछले काफी समय से तनाव में थी आयुष
हॉस्टल में अध्ययनरत अन्य छात्रों से मिली जानकारी के अनुसार आयुष पिछले काफी समय से तनाव में थी। वह नींद की गोली भी ले रही थी। वह पढऩे मेंं होशियार थी। वह अपना पूरा ध्यान रखती थी। अनुशासन वाली लड़की थी। उसका किसी से कोई झगड़ा व विवाद कभी नहीं हुआ।
हॉस्टल में अध्ययनरत अन्य छात्रों से मिली जानकारी के अनुसार आयुष पिछले काफी समय से तनाव में थी। वह नींद की गोली भी ले रही थी। वह पढऩे मेंं होशियार थी। वह अपना पूरा ध्यान रखती थी। अनुशासन वाली लड़की थी। उसका किसी से कोई झगड़ा व विवाद कभी नहीं हुआ।