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बीकानेर

करोड़ों की आय, फिर भी सुविधा का टोटा

पेयजल की व्यवस्था का अभाव
सम्पर्क सड़कें व आंतरिक सड़कें टूटी
पर्याप्त रोशनी का अभाव
विश्रामगृह में किसानों के रुकने लायक सुविधाएं नहीं
साफ-सफाई व जल निकासी व्यवस्था भी बेपटरी

बीकानेरJun 23, 2019 / 01:34 am

Hari

Crores of income, convenience snatch

Crores of income, convenience snatch

बीकानेर. लूणकरनसर. सालाना करोड़ों की आय देने वाली लूणकरनसर की अनाज मण्डी सुविधाओं को तरस रही है। प्रशासनिक अनदेखी के चलते मूलभूत सुविधाओं की कमी से किसानों, व्यापारियों, पल्लेदारों व उद्यमियों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
कस्बे की अनाज मण्डी सरकारी आंकड़ों में तो बी श्रेणी की घोषित है लेकिन यहां पानी, बिजली, छाया, नीलामी शेड समेत मूलभूत सुविधाओं की कमी सरकारी आंकड़ों का झुठला रहे हैं।

लूणकरनसर की अनाज मण्डी सालाना करीब ४.५० करोड़ से अधिक की आय दे रही है लेकिन मण्डी प्रशासन द्वारा सुविधाओं पर खर्च नहीं के बराबर हो रहा है। ऐसे में मण्डी के ४०० से अधिक लाइसेंसधारक व्यापारी व उद्यमी के साथ उपज बेचने आने वाले किसानों को पीड़ा झेलनी पड़ती है।

पानी की किल्लत

मण्डी परिसर में जलापूर्ति के लिए पाइप लाइनें नहीं होने से सालभर व्यापारियों व किसानों को पानी की किल्लत का सामना करना पड़ता है। हालांकि मण्डी परिसर में आधा दर्जन जगह पर शीतल पेयजल की सुविधा होनी चाहिए। मण्डी में तीन नई सार्वजनिक प्याऊ बनवा दी गई है लेकिन गत दो साल से वाटर कूलर नहीं होने से लोगों के उपयोग में नहीं आ रही है।

सड़क क्षतिग्रस्त

मंडी परिसर की आंतरिक सड़कें टूटी है। इसके अलावा मण्डी के कुछ क्षेत्र में सड़कें बनी नहीं है। मण्डी को गांवों से जोडऩे वाली अधिकांश सम्पर्क सड़कें खस्ताहाल है तथा टूटी सड़कों के कारण मण्डी में अपनी उपज लेकर आने वाले किसानों को परेशानी झेलनी पड़ती है। इससे मण्डी को राजस्व नुकसान भी हो रहा है।

कवर्ड शेड अपर्याप्त

अनाज मण्डी में जिंसों की आवक को देखते हुए कवर्ड शेड अपर्याप्त है। ऐसे में प्रतिकूल मौसम में किसानों का अनाज खराब होने से आर्थिक नुकसान झेलना पड़ता है। मंडी में गणेश मन्दिर के पीछे खाली भूमि पर अरसे से नीलामी शेड बनवाने की मांग उठ रही है लेकिन बीकानेर मण्डी विकास समिति की ओर से ना तो खाली भूमि पर किसानों के लिए सुविधाओं में इजाफा किया जा रहा है तथा ना ही भूमि कृषि उपज मण्डी समिति को दी जा रही है। ऐसी स्थिति में किसानों की जिन्स की आवक बढऩे पर बालू रेत में बोली करवानी पड़ती है। इससे जिन्सें में मिट्टी व कंकर मिलने का खामियाजा किसानों को झेलना पड़ता है।
खुले में शौच जाने की मजबूरी
मंडी में सीजन के दौरान रोजाना बड़ी तादाद में किसानों की आवाजाही रहती है लेकिन किसानों व व्यापारियों के लिए एकमात्र शौचालय उपयोग लेने की सुविधा नहीं है। किसानों व व्यापारियों को मजबूरन खुले में शौच जाना पड़ता है। मंडी में रोजाना ४०० से ५०० पल्लेदार काम करते है लेकिन शौचालय के अभाव में खुले में शौच जाने की मजबूरी बनी है।
रोशनी व्यवस्था चरमराई

मंडी परिसर में अरसे से रोशनी की व्यवस्था चरमराई हुई है। रोशनी के लिए लगे अधिकांश खम्भों पर बल्ब व ट्यूबलाइटें आए दिन खराब रहती है। इससे रात को मुख्य सड़कों के साथ चारदीवारी के आस-पास अंधेरां रहता है। मण्डी में चौकीदारी व्यवस्था भी पुख्ता नहीं है। इससे आए दिन चोर सेंधमारी कर जाते है। दुकानों के आगे व्यापारियों व किसानों के माल को आए दिन चोर उठाकर ले जाते हैं।
जर्जर हालात में विश्रामगृह

यहां मण्डी में रोजाना एक-डेढ़ हजार किसानों की आवाजाही रहती है। देरी से बोली आने पर कई किसान अपने घर नहीं पहुंच पाते है। ऐसे किसानों की सुविधा के लिए सरकार द्वारा बनाए गए किसान विश्रामगृह में रुकने लायक सुविधाएं नहीं है। जर्जर हालात में पड़े विश्रामगृह की मण्डी प्रशासन भी सुध लेना मुनासिब नहीं समझ रहा है। ऐसे में किसान या तो व्यापारियों के घरों पर रहना पड़ता है या फिर उनकी दुकानों पर शरण लेते हैं।

पानी निकासी की व्यवस्था नहीं

मण्डी में सालाना लाखों का बजट साफ-सफाई पर खर्च होता है। लेकिन साफ-सफाई की व्यवस्था सुचारू नहीं होने से जगह-जगह मण्डी में कचरे के ढेर लगे हैं। मण्डी के मुख्य द्वार के पास कूड़ा-करकट व झाडिय़ों सफाई व्यवस्था को धता बता रहे है। मण्डी में जल निकासी नालियों की व्यवस्था नहीं होने से बारिश में व्यापारियों व किसानों का अनाज पानी में बह जाता है।

विशेष ध्यान नहीं

अनाज मंडी में सुविधाओं को लेकर कई बार व्यापार मंडल द्वारा अवगत करवाया है लेकिन मंडी प्रशासन का किसानों व व्यापारियों की सुविधाओं की ओर विशेष ध्यान नहीं है। व्यापारियों को भी जागरूकता दिखाकर मुहिम चलाने की जरूरत है।
जुगलकिशोर बोथरा, अध्यक्ष व्यापार मण्डल, लूणकरनसर

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