बैठक में मौजूद बुजुुर्गों ने कहा कि ऐसा दिखावा किस काम काए जो गरीब को कर्जदार बना दे। ऐसी कुप्रथा बंद होनी चाहिए। एक ब्राह्मण को भोजन कराना ही पर्याप्त है। कोई भी कुप्रथा कभी भी धर्म सम्मतए शास्त्र सम्मत नहीं हो सकती। मृत्युभोज की बजाए आप गरीबों को दान कर दें या जनहित का कोई काम करवा दें। जिले के कई लोगोंए समाज प्रमुखों ने मृत्युभोज में शामिल न होने का संकल्प लिया है। संतों.महात्माओं ने कहा कि घर में किसी के निधन पर मृत्युभोज एक सामाजिक कुरीति है। इससे अच्छा ब्राह्मणों को भोजन कराएंए गायों को चारा और पक्षियों को दाना दें।