भाटी की चेतावनी से जहां जिला प्रशासन सकते में है, वहीं राजनीतिक चर्चाएं भी शुरू हो गई हैं। भाटी के अनुसार चुंगी चौकी रोड पर ही ट्रकों की मरम्मत करने व बजरी-ईंट से भरे ट्रैक्टर-ट्रक खडे़ होने से आमजन को आवागमन में परेशानी हो रही है। भाटी ने कहा कि इस समस्या के समाधान के लिए उन्होंने पहले भी मांग की थी।
मंत्री और अधिकारियों से आश्वासन मिलने के बाद भी समस्या जस की तस है। परिवहन व पुलिस विभाग ने अवैध रूप से मरम्मत करने वाले ट्रकों के मालिकों को नोटिस तक नहीं दिया गया है और ना ही राष्ट्रीय राजमार्ग पर खडे़ ट्रकों व अन्य वाहनों का चालान किया गया है।
इस समस्या के समाधान के लिए भाटी ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर उचित कार्रवाई की मांग की है। गौरतलब है कि भाटी ने इसी समस्या के समाधान को लेकर पहले भी धरने पर बैठने की चेतावनी दी थी, लेकिन परिवहन मंत्री और जिला कलक्टर से हुई वार्ता के बाद धरना स्थगित कर दिया था।
अनुभवी नेताओं को नजदीकी जिलों का प्रभारी नियुक्त किया बीकानेर. भाजपा प्रदेश कार्यकारिणी की प्रस्तावित बैठक से पहले प्रदेश संगठन ने जिला भाजपा प्रभारियों में आमूल-चूल बदलाव किया है। इसमें संघ से जुड़े अनुभवी नेताओं को नजदीकी जिलों का प्रभारी बनाया गया है। इसके पीछे मंशा यह है कि चुनाव के दौरान पार्टी संगठन में होने वाले कार्यक्रमों और गतिविधियों पर प्रभारियों की कड़ी नजर रहे और इसकी सूचना प्रदेश संगठन तक त्वरित रूप से पहुंच सके। बीकानेर शहर के नए प्रभारी महेन्द्र सोढ़ी गंगानगर के जिलाध्यक्ष रहे है और चुनाव भी लड़ा है। माना जाता है कि संगठन के कार्यों में यह अनुभवी नेता है।
इसी तरह बीकानेर देहात के रामेश्वर भाटी पूर्व विधायक भी है और जिलाध्यक्ष भी रहे है। संगठन पर इनकी समझ को देखते हुए बीकानेर देहात के पांच विधानसभा क्षेत्रों का प्रभारी बनाया गया है। बीकानेर के दो अनुभवी नेता विजय आचार्य को श्रीगंगानगर का प्रभारी तथा नंद किशोर सोलंकी को नागौर का प्रभारी बनाकर इनके अनुभवों को संगठन को मजबूती देने के लिए काम लिया गया है। नंदकिशोर सोलंकी के पास इन दिनों संगठन का किसी तरह का प्रभार नहीं था। अब प्रदेश कार्यकारिणी की घोषणा भी की जानी है। एेसे में इन प्रभारियों की नियुक्ति से प्रदेश कार्यकारिणी में लेने और नहीं लेने का असंतोष भी कम होगा।
प्रदेश में जिला प्रभारियों की नई नियुक्ति में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े और संगठन में काम करने वालों को प्राथमिकता दी गई है। इस परिवर्तन में तीन प्रभारियों को छोड़कर बाकी सभी प्रभारी नए हैं। इस बदलाव के पीछे संगठन की एक दृष्टि यह भी मानी जा रही है कि पड़ोसी जिला होने के कारण कोई भी प्रभारी दो-ढाई घंटे में अपने जिले में पहुंच सकते हैं।