प्रदेश में ई-कचरे के वैज्ञानिक और ईको फ्रेंडली निस्तारण के लिए 28 प्रसंस्करण इकाइयां अधिकृत हैं। इनमें से 15 इकाइयां तो अकेले अलवर जिले में ही है। जयपुर में 7, सीकर में 3 और अजमेर, धोलपुर और बाड़मेर में एक-एक इकाई है। शेष राजस्थान में इसकी रीसाइक्लिंग सुविधा ही उपलब्ध नहीं है।
पर्यावरण और सेहत दोनों के लिए घातक: इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स में काम आने वाली सामग्रियों का अपशिष्ट पर्यावरण और स्वास्थ्य दोनों के लिए घातक है। इनके गैर-वैज्ञानिक तरीके से निपटान किए जाने से पानी, मिट्टी और हवा जहरीले होते जा रहे हैं। ये जहर स्वास्थ्य पर कहर बरपा सकता है।
Electronic Waste : प्रदूषण नियंत्रण मंडल मानता है कि स्क्रैप डीलर और कबाड़ी नेटवर्क घर-घर संग्रह में पारंगत है। लेकिन इनकी प्रसंस्करण तकनीक ठीक नहीं है। खुले और बर्निंग और अनियंत्रित डंपिंग से इस काम में लगे श्रमिकों और पर्यावरण को नुकसान पहुंच रहा है। व्यापक नेटवर्क के कारण अधिकांश ई वेस्ट इनके जरिए ही एकत्रित और संसाधित किया जा रहा है।
वर्ष ई-कचरा
2018-19 | 8478 |
2019-20 | 17028 |
2020-21 | 20816 |
2021-22 | 27998 |
2022-23 | 31697 |
(स्रोत: आरएसपीसीबी, एकत्रित और संसाधित मात्रा मीट्रिक टन में)
जयपुर में एक एकीकृत पुर्नचक्रण पार्क की स्थापना हो रही है। जहां ई-वेस्ट रिसाइकलर्स के साथ अन्य कचरे के पुनर्चक्रकणकर्ताओं को स्थापित किया जाएगा। – प्रदीप आसनानी, क्षेत्रीय अधिकारी, राजस्थान राज्य प्रदूषण नियंत्रण मंडल